मंगलवार, 12 जुलाई 2011

माया के राज में औरतों की दुर्दशा


(अमर उजाला से साभार)
यूपी में औरतों की दुर्दशायूपी में औरतों की दुर्दशायूपी में औरतों की दुर्दशायूपी में औरतों की दुर्दशा

विनीता वशिष्ठ
'कैसे कटेगा वक्त सफर-ए-मुकाम का, जब हमसफर हो अपना खुद थका हुआ' 1990 तक देश के उन्नत प्रदेशों का जिक्र बिना यूपी के शुरू नहीं होता था, लेकिन जब से उत्तर प्रदेश में त्रिशंकु सरकारों का प्रयोग शुरू हुआ, हालात बद से बदतर होते चले गए। खासतौर पर बाबरी विध्वंस के बाद यूपी में जिसने भी अपनी सरकार बनाई, उसने पहले अपनी और अपने पार्टी कार्यकर्त्ताओं की जेब हरी की। जातिवाद और अराजकता की इस आंधी को कामांधों ने भी हवा दी और तिनके के मानिंद उड़ने लगी जायरीनों की अस्मत। आज यूपी में हर दिन रेप के पांच मामले तो सिर्फ पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हो रहे हैं, और न जाने ऐसे कितने मामले हैं जो बदनामी के डर से घरों की दहलीज के बाहर ही नहीं निकले। कुछ लोगों ने अपनी दबंगई दिखाने के लिए महिला की इज्जत को खेला तो किसी ने अपनी कुंठा मिटाने के‌‌ लिए मासूम बच्चियों पर हाथ साफ किया। दरिंदगी की हदों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें कानून के रखवाले और कानून बनाने वाले भी शरीक होते रहे।

सवाल - क्या आपको लगता है कि मायावती के राज में उत्तर प्रदेश की महिला और असहाय और असुरक्षित हुई है। क्या मायावती दलित महिलाओं पर हो रही हिंसा को ‌रोक पाने में सफल होंगी। क्या दुष्कर्म के जुर्म की सजा और कड़ी की जानी चाहिए?

कुछ वाकये जिन्होंने झकझोर दिया.. 
विनीता वशिष्ठ
सोनम हत्याकांड - लखीमपुर खीरी के निघासन थाने में 14 वर्षीया सोनम का शव पेड़ से लटका मिला। परिजनों का आरोप- रेप के बाद मारा। पुलिस ने आत्महत्या का मामला बताया। दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से गला दबाकर हत्या की पुष्टि। महिला आयोग का दावा दुष्कर्म हुआ। इस संबंध में थाने के सीओ के गनर अतीक अहमद की गिरफ्तारी। झूठी मेडिकल रिपोर्ट बनाने और सबूत मिटाने के आरोप में 16 अधिकारी निलंबित कन्नौज कांड - कन्नौज जिले में 14 साल की एक युवती से बलात्कार की कोशिश। जब आरोपी बलात्कार में सफल नहीं हो पाए तो उन्होंने किशोरी की आंखें फोड़ दी। युवती की एक आंख की रोशनी चली गई। आरोपियों की तलाश जारी। घटना की रिपोर्ट देर से लिखने के आरोप में दो पुलिसकर्मी निलंबित। शीलू कांड - बांदा में विधायक ने दलित नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म किया। बाद में चोरी का झूठा आरोप लगाकर उसे जेल भेजा। पेशी के दौरान कोर्ट आई लड़की ने दुराचार का आरोप लगाया। बसपा विधायक निलंबित, मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश, विधायक को जेल भेजा गया। एटा कांड-निधौली कलां थानाक्षेत्र में पांच लोगों ने घर से खींचकर युवती से सामूहिक दुष्कर्म किया। लड़की द्वारा पहचाने जाने पर तेल छिड़कर जलाकर मार डाला। थाने में रिपोर्ट देर से लिखने पर धानाध्यक्ष लाइन हाजिर। अभियुक्त भी तक फरार। चिनहट कांड - लखनऊ के चिनहट इलाके में दलित लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म। लाश ईंट भट्टे के पीछे मिली। दुपट्टे से गला दबाने की पुष्टि। सरकारी डॉक्टर ने गैंग रेप-मर्डर की बात को ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नकार दिया। हंगामे के बाद लाश को कब्र से निकालकर दोबारा पोस्ट मार्टम हुआ। पुलिस ने मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ठेकमा कांड - ठेकमा (आजमगढ़) कस्बे में घर में सो रही मंदबुद्धि युवती से सामूहिक दुष्कर्म। पुलिस घरवालों पर केस वापस लेने का दबाव बनाती रही। इस संबंध में चार आरोपी फरार।

सवाल - क्या आपको लगता है कि मायावती के राज में उत्तर प्रदेश की महिला और असहाय और असुरक्षित हुई है। क्या मायावती दलित महिलाओं पर हो रही हिंसा को ‌रोक पाने में सफल होंगी। क्या दुष्कर्म के जुर्म की सजा और कड़ी की जानी चाहिए?

कुछ मामले जिन्हें कार्रवाई की दरकार 
विनीता वशिष्ठ
-बाराबंकी में नौंवी क्लास की नाबालिग लड़की से बलात्कार किया गया लेकिन पुलिस ने सिर्फ छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया। -शिवराजपुर गांव की सोलह वर्षीय नाबालिग दलित लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार। पुलिस ने रिपोर्ट तक नहीं लिखी। -बिराज्मार गांव की 8 साल की दलित बालिका की दरिंदों ने बलात्कार के बाद हत्या की। पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। -ठाकुरद्वारा (मुरादाबाद) के गांव कंकरखेड़ा में दो युवकों ने तमंचों के बल पर दलित युवती से बलात्कार किया। -सलेमपुर (देवरिया) में दलित युवती के साथ तीन दरिंदों ने दुपट्टे से हाथ- पैर बांध कर सामूहिक दुष्कर्म किया। -मुरादाबाद (ठाकुरद्वारा)में तमंचे के बल पर दलित किशोरी से दुष्कर्म।

सवाल - क्या आपको लगता है कि मायावती के राज में उत्तर प्रदेश की महिला और असहाय और असुरक्षित हुई है। क्या मायावती दलित महिलाओं पर हो रही हिंसा को ‌रोक पाने में सफल होंगी। क्या दुष्कर्म के जुर्म की सजा और कड़ी की जानी चाहिए?

माया के राज कामांधों की मनमानी 
विनीता वशिष्ठ
हालांकि राज्य में महिलाओं से दुराचार और हत्याएं पहले भी होती रही हैं लेकिन मायावती के सत्ता में आने के बाद दलित औरतों पर बलात्कार के मामले तेजी से बढ़े हैं। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश हत्या, अपहरण और बलात्कार का केंद्र बन चुका है। वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी उत्तर प्रदेश की स्थिति पर गहरी चिंता जाहिर की है। यदि आधिकारिक सरकारी आंकड़ों को देखें तो यूपी में हर दिन पांच युवतियां कामांधता की शिकार होती हैं। जबकि राष्ट्रीय महिला आयोग की अक्टूबर-2010 की रिपोर्ट देंखे तो पता चलता है कि पुलिस‌ रिकॉर्ड में दर्ज मामलों से कहीं ज्यादा मामले तो घरों की दहलीज से सिर्फ इसलिए बाहर नहीं आते हैं क्योंकि विक्टिम के परिजनों को बदनामी का डर लगा रहता है।

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बेटी भी खोई और प्रतिष्ठा भी 
विनीता वशिष्ठ
इस मसले पर हो रही राजनीति के दूसरी ओर उस परिवार में चिंता शर्मिंदंगी का मातम पसरा पड़ा है जिसकी बेटी के साथ गैंग रेप हुआ है। बेटी तो गई ही साथ ही अपनों के बीच प्रतिष्ठा भी चली गई, अब बाकी बच्चों का भविष्य क्या होगा। एक तरफ बेटी का गम, दूसरी तरफ समाज की चिंता और तीसरी तरफ लाइसेंसी गुंडों का डर। शिकायत करने पुलिस स्टेशन जाएं तो जुबान बंद रखने की हिदायत मिल रही है। दिल मजबूत करके शिकायत डाल भी दी तो पैसे फैंक कर मुंह बंद करने की चेतावनी। दबंग धमकी देते है कि बेटी के साथ साथ पूरे परिवार से हाथ धो बैठोगे। ऐसे मजबूर और बेबस हालातों में परिवार का मुखिया अकेले में रोता है। उसके दिमाग में मर चुकी बेटी से ज्यादा जिंदा परिवार की चिंता ज्यादा बढ़ी है।

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सरकार के असरहीन कुछ इंस्टेंट उपाय 
विनीता वशिष्ठ
देर आयद दुरुस्त आयद की तर्ज पर मायावती सरकार भी जागरुक हो ही गई। सरकार का आदेश है कि ऐसे मामलों में दस दिन के भीतर दोषी की गिरफ्तारी सुनिश्चित हो। दोषी को बचाने या बेकसूर को फंसाने के लिए डाक्टरों और पुलिवालों की यदि मिलीभगत निकली तो वे तत्काल प्रभाव से निलंबित हो। ऐसे आदेश पहले भी दिए गए हैं। क्या इनसे माया के राज में मासूम बच्चियों की सुरक्षा हो पाएगी। क्या समाज के दरिंदों पर ऐसे आदेशों का रत्ती भर भी फर्क पड़ेगा?

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कुलीन वर्ग की कुंठा 
विनीता वशिष्ठ
मायावती के सत्ता में आने के बाद दलित महिलाओं का सशक्तिकरण होना चाहिए था। लेकिन हुआ इसके उलट। मायावती के पिछले चार साल के राजकाज में यौन हिंसा का सबसे ज्यादा निशाना दलित महिलाएं ही बनी। क्यों? दरअसल इसका मूल कारण सत्ता समीकरण में छिपा है। दलित औरतों पर यौन हिंसा और हत्याएं राज्य में बढ़े दलित वर्चस्व को मजबूरी में झेल रहे कुलीन वर्ग की कुंठा का परिणाम है। वो कुंठा जो सत्ता छिनने के बाद कुलीन और दबंग वर्ग के दिमाग में बैठ गई थी, उसे दलित औरतों पर जोर जबरदस्ती करके निकाला जा रहा है। सत्ता और कानून भले ही दलितों का हो लेकिन समाज और नौकरशाही अभी भी उस वर्ग की है जो दलितों के वर्चस्व से भन्नाया बैठा है।

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