मंगलवार, 16 अगस्त 2011

प्रत्याशी बेचैन

जब राजनीतिक पार्टीयाँ इस मुकाम पर पहुँच गए हों की अपने कार्यकर्ताओं पर विश्वास न हो तब क्या हश्र होगा पार्टियों का.
बसपा उलटफेर की रणनीति से प्रत्याशी बेचैन
Story Update : Monday, August 15, 2011     2:11 AM
पहले चरण की समीक्षा में फेल प्रत्याशियों का बदलना तय
प्रत्याशी अब पदाधिकारियों का विश्वास जीतने में जुट गए
नए प्रत्याशियों की घोषणा होगी हजारों की भीड़ के बीच
वाराणसी। विधानसभा चुनाव 2012 की मुहिम में जुटीं बसपा सुप्रीमो द्वारा कई प्रत्याशियों के बदले जाने के बाद प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ गई है। प्रत्याशी अब खुद को और सुरक्षित करने में जुट गए हैं। पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों को विश्वास में लेने और लगातार चरचाओं में बने रहने की कोशिश प्रत्याशी करने लगे हैं। पार्टी रणनीति के मुताबिक जो प्रत्याशी चुनाव खड़ा करता नजर नहीं आएगा उसके स्थान पर दूसरे को मौका मिलना तय है।
जिले में एक साथ तीन प्रत्याशियों के बदले जाने से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। इस बदलाव से दूसरे दलों में भी प्रत्याशियों के बदलने की प्राथमिकता बदलने के आसार हैं। पिंडरा में दूसरे दल अब पटेल प्रत्याशी पर दांव लगाने की सोच सकेंगे। दक्षिणी से बसपा ने इस बदलाव से अंसारी बिरादरी को प्रभावित करने का प्रयास किया है। सेवापुरी में पार्टी ने इस बदलाव में फिर से भूमिहार बिरादरी पर ही दांव लगाया है। बदलाव के बाद नये प्रत्याशियों की घोषणा भी धमाकेदार अंदाज में करने की रणनीति बनी है। तीनों विधानसभा क्षेत्रों में 16 अगस्त को अलग अलग सभाएं कर नये नामों की घोषणा होगी। नये प्रत्याशियों पर भारी भीड़ जुटाने का दबाव है। इस कार्यक्रम में पदाधिकारी अभी से लगा दिए गए हैं।
जिस तरीके से पार्टी प्रत्याशियों के प्रयास और क्षेत्र में उनकी छवि की समीक्षा कर रही है आने वाले दिनों में पूर्वांचल से कुछ और प्रत्याशी भी बदले जा सकते हैं। कुछ प्रत्याशियों के नामों पर चरचा चलने लगी है। दूसरी तरफ विधायक सुशील सिंह को फिर से टिकट दिए जाने के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि उनके अंदर फिर से सीट निकालने का माद्दा है। उनके चुनाव लड़ने से पूर्वांचल में क्षत्रिय समाज के लोग पार्टी से जुड़े रहेंगे। सुशील को पूर्वांचल में क्षत्रियों को जोड़ने की जिम्मेदारी भी दी जा सकती है।