शनिवार, 19 मई 2012

विधायकों व मंत्री के ठिकानों पर छापे


झारखंड: 14 विधायकों व मंत्री के ठिकानों पर छापे

May 18, 08:54 am
रांची [जासं]। इसी साल हुए राज्यसभा चुनाव में विधायकों के खरीद-फरोख्त [हॉर्स ट्रेडिंग] मामले की जांच कर रही सीबीआइ ने शुक्रवार को झारखंड में 14 विधायकों और प्रदेश सरकार के मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी के आवास पर छापेमारी की। जांच के सिलसिले में सीबीआइ ने झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में एक साथ 36 ठिकानों पर कार्रवाई की। इन छापेमारी में सीबीआइ को कौन से दस्तावेज और संपत्ति मिली है। इसकी घोषणा अभी नहीं की गई है। कार्रवाई में सीबीआइ ने लैपटॉप, बैंक पासबुक और निवेश संबंधी दस्तावेज जांच के लिए जब्त किए हैं।
30 मार्च को मतदान के दिन रांची में 2.15 करोड़ रुपये बरामद होने के बाद राज्यसभा चुनाव रद कर दिया गया था। बरामद धनराशि निर्दलीय प्रत्याशी आरके अग्रवाल से संबंधित होने के साक्ष्य मिले थे। इसके बाद झारखंड हाई कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआइ से कराने का आदेश दिया। शुक्रवार को सीबीआइ ने जिन स्थानों पर छापेमारी की उनमें सरकार में शामिल आजसू के तीन विधायक व एक मंत्री, कांग्रेस व राजद के तीन-तीन विधायक, भाजपा व झामुमो के दो-दो विधायक और जदयू की एक विधायक शामिल हैं। चुनाव से दूर रहे झारखंड विकास मोर्चा [झाविमो] के विधायक इस कार्रवाई की जद में नहीं आए।
आजसू कोटे से राज्य सरकार में मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी के रांची और रजरप्पा [रामगढ़] स्थित आवास पर छापेमारी हुई। झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन की विधायक पुत्रवधू सीता सोरेन और बिहार विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी की विधायक पुत्री डॉ. सुधा चौधरी के आवासों पर भी सीबीआइ ने छापेमारी की है। चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी रहे पवन धूत के कोलकाता स्थित तीन ठिकानों और पूर्व भाजपा सांसद अजय मारू व इनके भाई पवन मारू के रांची स्थित आवास पर भी जांच एजेंसी ने कार्रवाई की।
भाजपा विधायक के आवास से 15 लाख मिले
खबर है कि भाजपा विधायक अरुण मंडल के आवास से सीबीआइ को 15 लाख रुपये मिले हैं। एजेंसी इस धनराशि प्राप्ति के स्त्रोत का पता लगा रही है।

सलाखों के पीछे


सलाखों के पीछे शुक्ला समझ रहा घोटाले का ‘गणित’

गाजियाबाद/अमर उजाला ब्यूरो
Story Update : Saturday, May 19, 2012    12:11 AM
Shukla in jail thinking scam math
कभी गणित को अपना फेवरेट सब्जेक्ट बताने वाला अधिकारी अब सीबीआई के चक्रव्यूह का ‘गणित’ जानने का प्रयास कर रहा है। एनआरएचएम घोटाले के आरोप आईएएस प्रदीप शुक्ला जेल की सलाखों के पीछे बैठकर घोटाले की एफआईआर और दस्तावेजों का अवलोकन कर रहे हैं।

बृहस्पतिवार को कोर्ट ने जब एनआरएचएम घोटाले के आरोपी प्रदीप शुक्ला को न्यायिक हिरासत में डासना जेल भेजा, तब वह अपने साथ घोटाले से संबंधित एफआईआर और अन्य जांच दस्तावेज लेकर गए। शुक्रवार को चार-पांच घंटे प्रदीप शुक्ला इन दस्तावेजों का गहनता से अध्ययन करते रहे।

जेल सूत्रों की माने तो प्रदीप शुक्ला अपने साथ लाए दस्तावेजों को पढ़ने में ही ज्यादा समय बिता रहे हैं। जेल अधीक्षक डा. वीरेश राज शर्मा ने बताया कि यह दस्तावेज उन लोगों से संबंधित हैं, जोकि एनआरएचएम घोटाले में फंसे हैं। दस्तावेजों में संबंधित केस की एफआईआर के अलावा सीबीआई जांच से जुडे़ पहलू भी हैं।

सोमवार, 14 मई 2012

NRHM


जेल पहुंचे एनआरएचएम घोटाले के तीनों आरोपी

Story Update : Wednesday, January 11, 2012    1:08 AM
डासना जेल के बैरक नंबर सात (ए) में रखा गया, सीबीआई की रिमांड अर्जी नामंजूर
गाजियाबाद। चर्चित एनआरएचएम घोटाले के आरोपियों दवा कारोबारी सौरभ जैन, यूपीएसआईसी के एमडी अभय कुमार वाजपेयी और पूर्व डीजी हेल्थ एसपी राम को मंगलवार सुबह विशेष सीबीआई कोर्ट में पेश किया गया। तीनों की पुलिस रिमांड अवधि समाप्त होने पर सीबीआई टीम साढ़े 10 बजे उन्हें लेकर विशेष न्यायाधीश एके सिंह की कोर्ट पहुंची थी। सीबीआई की ओर से सौरभ जैन और एसपी राम को फिर से पुलिस रिमांड पर दिए जाने की अर्जी कोर्ट में दी गई, जिसे कोर्ट ने लंच के बाद नामंजूर कर दिया। इन्हें 6 जनवरी को रिमांड पर दिया गया था।
सीबीआई की ओर से उनके स्पेशल लोक अभियोजन अधिकारी वीके शर्मा ने अदालत में अर्जी लगाते हुए कहा कि सौरभ जैन को १० दिन और एसपी राम को ३ दिन के लिए फिर से पुलिस रिमांड पर दिया जाए। लोक अभियोजक का कहना था कि डेढ़ करोड़ के इस घोटाले में सौरभ जैन सीबीआई को सहयोग नहीं कर रहा है। सीबीआई घोटाले के दौरान उपयोग किए गए अभियुक्तों के मोबाइल फोन और सिम कार्ड के अलावा उनके बिल-बाउचर भी बरामद कराना चाहती है। आरोपियों के वकील शिवदत्त त्यागी और राम अवतार गुप्ता ने अर्जी के विरोध में कहा कि पुलिस पहले ही आरोपियों को पुलिस रिमांड पर ले चुकी है। लिहाजा अब रिमांड की जरूरत बाकी नहीं रह जाती। दोनों पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने अर्जी पर फैसला लंच बाद तक सुरक्षित रखा। दोपहर करीब ढाई बजे कोर्ट ने दाखिल अर्जी को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद तीनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में डासना जेल भेज दिया गया। जेल अधीक्षक डॉ. वीरेश राज ने बताया कि तीनों को बैरक नंबर सात (ए) में रखा गया है। अगली सुनवाई २४ जनवरी को होगी।
(वाजपेयी जी उ.प्र.प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं, गाजियाबाद में पोस्टेड रहे हैं और बहुत ही महाँ और संत छवि के व्यक्ति रहे हैं)
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काली कमाई : चारों दागी अफसर पद से हटाए गए

लखनऊ/अमर उजाला ब्यूरो
Story Update : Monday, May 14, 2012    2:06 AM
Black money four fired officers were removed from office
प्रदेश सरकार ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे विकास प्राधिकरण में अहम पदों पर रहते हुए काली कमाई करने वाले चार अफसरों को उनके पद से हटा दिया है। अब यह अफ सर प्राधिकरण से संबंद्ध कर दिए गए हैं। इनमें प्राधिकरण के जीएम (प्रापर्टी) रवींद्र सिंह टोंगर, जीएम (प्रोजेक्ट) एसएसए रिजवी, जीएम (वित्त) ललित विक्रम व सीनियर एकाउंट अफसर रामपाल बर्मन शामिल हैं। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री अखिलेश के निर्देश पर की गई है।
इसी कड़ी में औद्योगिक विकास आयुक्त अनिल कुमार गुप्ता ने आयकर महानिदेशक (जांच) को पत्र लिख कर कहा कि छापों व बरामदगी के संबंध में प्रारंभिक रिपोर्ट जल्द दे ताकि आरोपी अफसरों पर आगे की कार्रवाई की जा सके। अब सरकार को उनके खिलाफ आयकर विभाग की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मिलने का इंतजार है।
रिपोर्ट के आधार पर उन्हें सतर्कता जांच के घेरे में लिया जा सकता हैै। इन अफसरों के आवासों पर पिछले दिनों इनकम टैक्ट छापे से एक अरब की अवैध कमाई का खुलासा हुआ था। अवैध तरीके से कमाए गए इस धन को अपने रिश्तेदारों की कंपनियाें में लगाया था। रवींद्र सिंह ने 82 करोड़, रिजवी ने एक करोड़, ललित विक्रम ने सात करोड़ और बर्मन ने 10 करोड़ का अवैध धन कमा कर अन्य कंपनियाें में निवेश कर रखा था। इसमें बिल्डरों की भी मिलीभगत सामने आई है।
आयकर महानिदेशक (जांच) एसएस वाजपेयी को पत्र लिख कर कहा गया है कि छापे और बरामदगी के संबंध में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट जल्द उपलब्ध करवा दे ताकि सरकार इस संबंध में कार्रवाई कर सके । अब आयकर विभाग की रिपोर्ट का इंतजार है और उसके बार इन अफसरों पर कार्रवाई होगी। इसमें उनके खिलाफ सतर्कता जांच भी संभव है।
अनिल कुमार गुप्ता, औद्योगिक विकास आयुक्त, उत्तर प्रदेश
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