रविवार, 20 नवंबर 2011

बसपा का आंतरिक भ्रष्टाचार

(अमर उजाला से साभार)

बाबू सिंह की बगावत, कहा- जान को खतरा

लखनऊ।
Story Update : Sunday, November 20, 2011    12:45 AM
मुख्यमंत्री मायावती के करीबी रहे पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने अपनी ही सरकार के एक मंत्री से जान का खतरा होने की बात कह कर सनसनी फैला दी है। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि लोक निर्माण और स्वास्थ्य मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह और प्रमुख सचिव (गृह) कुंवर फतेह बहादुर से उनकी जान को खतरा है।

एनआरएचएम घोटाले में भी संगीन आरोप
बसपा सरकार में परिवार कल्याण और सहकारिता मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा को दो सीएमओ की हत्या के बाद 7 अप्रैल को इस्तीफा देना पड़ा था। उन पर एनआरएचएम घोटाले में भी संगीन आरोप हैं। कुशवाहा ने यह चिट्ठी 17 नवंबर को लिखी है। विधानसभा सत्र से ठीक पहले सामने आई इस चिट्ठी में कुशवाहा ने मुख्यमंत्री से अपना दर्द बयान किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री, राज्यपाल, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सीबीआई निदेशक और प्रमुख सचिव (गृह) भारत सरकार के पास भी पत्र भेजा है।

सीएम से जान की रक्षा करने की अपील की
सीएम को लिखे पत्र में कुशवाहा ने कहा है कि 2007 में बसपा की सरकार बनने पर मुझे कैबिनेट मंत्री बनाया गया और परिवार कल्याण समेत कई विभागों का चार्ज सौंपे गए। इससे सिद्दीकी, कुछ अन्य मंत्री, कैबिनेट सचिव, प्रमुख सचिव (गृह) और कुछ अन्य प्रशासनिक अफसर मुझसे ईर्ष्या करने लगे। पूर्व मंत्री ने आगे लिखा है कि मुझे डर है कि ये ताकतवर लोग सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके मुझे, मेरे रिश्तेदारों और समर्थकों को फर्जी मामलों में फंसा सकते हैं। हाल ही में बांदा और झांसी में मेरे खिलाफ में घटी ताजा घटनाओं से इस बात की आशंका और बढ़ गई है। इसके साथ ही कुशवाहा ने मुख्यमंत्री से पूरे मामले पर ध्यान देने और अपनी जान की रक्षा करने की अपील की है।

कद्दावर नेताओं में होती थी गिनती
बाबू सिंह कुशवाहा की गिनती बसपा के कद्दावर नेताओं में होती रही है। इस्तीफा देने से पहले वे मुख्यमंत्री मायावती के सबसे करीबी और विश्वासपात्र माने जाते थे। बसपा में उनके दबदबे का पता इसी से चलता है कि प्रदेश में एनआरएचएम के लिए जब केंद्र से पैसा आने लगा तो उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर न सिर्फ परिवार कल्याण को स्वास्थ्य विभाग से अलग कराकर स्वतंत्र मंत्रालय बनवा दिया, बल्कि खुद इस विभाग की कमान अपने हाथ में ले ली। बांदा में स्थानीय राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते नसीमुद्दीन सिद्दीकी से उनका पहले से ही छत्तीस का आंकड़ा है। मुख्यमंत्री की ‘गुडबुक’ से बाबू सिंह का पत्ता साफ होने के बाद अब उनकी जगह नसीमुद्दीन ने ले ली है।

कांग्रेस में जाएंगे कुशवाहा!
बसपा से बगावत करने के बाद बाबू सिंह कुशवाहा के कांग्रेस में जाने की अटकलें शुरू हो गई हैं। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि कुशवाहा कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं के संपर्क में हैं। जल्द ही वह कांग्रेस में शामिल होने की घोषणा कर सकते हैं।

क्या लिखा चिट्ठी में
अप्रैल 2011 में मेरे मंत्री पद से इस्तीफा देते ही नसीमुद्दीन सिद्दीकी और दो आला अधिकारी मुझसे व्यक्तिगत रंजिश निकालने लगे। इन तीनों ताकतवर लोगों की दुर्भावना अब इतनी बढ़ गई है कि ये मेरे खिलाफ कोई भी साजिश रच सकते हैं। मुझे इन तीनों से जान का खतरा है।

बाबू सिंह कुशवाहा द्वारा कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और आला अधिकारियों से अपनी जान का खतरा बताया जाना गलत है। कुशवाहा आय से अधिक संपत्ति के मामले में लोकायुक्त जांच में फंसे हैं। हाईकोर्ट में भी उनके खिलाफ एक याचिका दाखिल है। चारों ओर से कानून के शिकंजे में घिरे होने की वजह से वे लोगों का ध्यान हटाने के लिए ड्रामेबाजी कर रहे हैं।
-स्वामी प्रसाद मौर्य, प्रदेश बसपा अध्यक्ष
(हिंदुस्तान से साभार)

पूर्व बसपा मंत्री ने कहा, मंत्री से जान को खतरा
लखनऊ, एजेंसी
First Published:19-11-11 09:57 PM
Last Updated:20-11-11 01:32 AM
 ई-मेल Image Loadingप्रिंट  टिप्पणियॉ:(0) अ+ अ-
उत्तर प्रदेश में बुहजन समाज पार्टी (बसपा) की सरकार के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने मुख्यमंत्री मायावती को लिखे पत्र में जहां कथित रूप से राज्य के शीर्ष अधिकारियों और एक मंत्री से अपनी जान को खतरा बताया है। वहीं, बसपा ने शनिवार को कुशवाहा के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह नौटंकी कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि पूर्व परिवार कल्याण मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने मायावती को लिखे पत्र में कथित रूप से राज्य के लोक निर्माण मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दिकी और कैबिनेट सचिव एवं गृह सचिव से अपनी जान को खतरा होने की बात कही है।
वहीं, कुशवाहा के आरोपों का खंडन करते हुए बसपा प्रवक्ता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बयान जारी कर कहा, ‘कुशवाहा के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति मामले में लोकायुक्त की जांच चल रही है। ऐसा लग रहा है कि कानूनी शिकंजा कसने के बाद लोगों का ध्यान हटाने के लिए वह इस तरह की नौटंकी पर उतर आए हैं।’
कुशवाहा के कथित पत्र पर आश्चर्य प्रकट करते हुए मौर्य ने इसका खंडन किया और कहा कि उनकी जान को मंत्रिपरिषद के किसी सदस्य अथवा सरकार के किसी अधिकारी से खतरा नहीं है। मौर्य ने कहा, ‘कुशवाहा कई सालों तक मंत्री थे तब उन्हें इन लोगों से जान का खतरा क्यों नहीं था। पिछले कुछ दिनों से उन्हें अपनी जान को खतरा महसूस होने लगा है जो आश्चर्य की बात है।’
उन्होंने कहा कि कुशवाहा का कथित पत्र अभी तक मुख्यमंत्री को नहीं मिला है लेकिन यह पत्र समाचार चैनलों पर दिखाया गया जिससे साबित होता है कि कुशवाहा पेशबंदी में लगे हैं। एनएचआरएम योजना में अनियमितताओं के खुलासा के बाद कुशवाहा ने इस्तीफा दे दिया था।
(दैनिक जागरण से साभार)

बाबू सिंह कुशवाहा हुए बागी

Nov 19, 09:22 pm
लखनऊ [जाब्यू]। मुख्यमंत्री मायावती के बेहद विश्वासपात्र समझे जाने वाले बाबू सिंह कुशवाहा ने शनिवार को बगावती तेवर अपना लिए। उन्होंने कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह और प्रमुख सचिव गृह कुंवर फतेह बहादुर से अपनी जान को खतरा बता दिया है।
मुख्यमंत्री को भेजे पत्र की प्रतिलिपि उन्होंने प्रधानमंत्री, राज्यपाल, सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सीबीआइ के निदेशक व केंद्रीय गृह सचिव भेजी है। उमूमन हिंदी में खत-ओ-किताबत करने वाले कुशवाहा ने पत्र अंग्रेजी में लिखा है। कुशवाहा मायावती सरकार में कद्दावर मंत्री हुआ करते थे। एनआरएचएम में घोटाला उजागर होने के बाद इसी साल अप्रैल में मंत्रिमंडल से उनका इस्तीफा हुआ था।
यह पत्र सार्वजनिक होते ही उत्तर प्रदेश की सियासत में गर्मी बढ़ गई है। बाबू सिंह कुशवाहा जैसे विश्वासपात्र के बागी होने के राजनीतिक निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं। कुशवाहा को इस हद जाने की हिम्मत देने के पीछे कौन हो सकता है, इसके कयास लगाए जा रहे हैं। बड़े कांग्रेसी नेता के कुशवाहा के सम्पर्क में होने की बात कही जा रही है। कुशवाहा अपने ऊपर बढ़ते शिकंजे से खासे परेशान हैं। सीबाआइ तो उनके ऊपर शिंकजा कस ही रही है, लोकायुक्त ने भी जांच शुरू कर दी है। शैक्षिक प्रमाणपत्रों में उनका नाम कुछ और होने को लेकर दायर याचिका पर कोर्ट ने आदेश जारी कर दिया है। ऐसे में वह सरकार और बसपा से अपने साथ खड़े होने की उम्मीद लगा रहे थे लेकिन बसपा और सरकार ने उनसे पूरी तरह से किनारा कर लिया।
नसीमुद्दीन सिद्दीकी से उनकी काफी समय पहले से राजनीतिक प्रतिद्वन्दि्वता चल रही है। उन्हें यह लग रहा था कि सिद्दीकी ने ही कुछ शीर्ष अफसरों के साथ 'लाबिंग' कर उन्हें किनारे कर दिया है। फिलवक्त उन्हें पार्टी और सरकार से कोई मदद नहीं मिल सकती। सूत्रों के अनुसार ऐसे में उन्होंने अपने कुछ राजनीतिक हितेषियों के जरिये कांग्रेस में सम्पर्क साधा। एक बड़े कांग्रेसी नेता ने दो टूक कह दिया कि जब तक वह बसपा और मायावती के साथ खड़े हैं, उनके साथ किसी तरह की सहानुभूति या मदद का सवाल ही नहीं खड़ा होता। ऐसे में बाबू सिंह कुशवाहा के लिए बसपा से दूरी बनाना मजबूरी हो गई।
सरकार के लिए बेचैनी की वजह यह है कि कुशवाहा ने यह कदम उस वक्त उठाया है जब एक दिन बाद ही विधानमंडल दल का सत्र शुरू होने जा रहा है। लेखानुदान के साथ-साथ विपक्ष अपने अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार के बहुमत की परीक्षा लेने की तैयारी में है। उसकी नजर बसपा के उन विधायकों पर है जिनके टिकट कट गए हैं या कटने की सम्भावना है। ऐसे विधायकों की संख्या दो दर्जन से ऊपर बतायी जाती है। कुशवाहा की यह बगावत असंतोष की आग में घी काम कर सकती है। इसी वजह से सरकार में भी बेचैनी है।
ड्रामेबाजी कर रह हैं: बसपा
लखनऊ [जाब्यू]। बहुजन समाज पार्टी ने बाबू सिंह कुशवाहा की बगावत को ड्रामेबाजी करार दिया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर जारी लिखित बयान में कहा गया कि कुशवाहा काफी दिनों से पार्टी से जुड़े रहे और सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे। सरकार में मंत्री रहते हुए उन्हें नसीमुद्दीन सिद्दीकी, कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह तथा प्रमुख सचिव गृह कुंवर फतेह बहादुर से जान का कोई खतरा नहीं था। कुशवाहा जब मंत्रिपरिषद से बाहर हुए तब भी काफी लम्बे समय तक इन्हें कोई खतरा नजर नहीं आया। लेकिन अचानक इन लोगों से कुशवाहा को अपनी जान का खतरा कैसे नजर आने लगा, यह आश्चर्य की बात है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कुशवाहा जब कानून के शिकंजे में आ गए हैं तो लोगों का ध्यान हटाने के लिए ड्रामेबाजी कर रहे हैं। कुशवाहा अब न तो पार्टी के सक्रिय सदस्य हैं और न ही पार्टी के कार्यक्रम या आयोजन में इनकी कोई भूमिका ही होती है। कुण्ठाग्रस्त होकर वे बेबुनियाद आरोप लगाकर सहकर्मियों एवं शासन के वरिष्ठ अधिकारियों को बदनाम करने की घिनौनी हरकत कर रहे हैं। उनको लोकायुक्त के विचाराधीन अपने आय से अधिक मामले में हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर कानूनी स्थिति स्पष्ट करते हुए सहयोग करना चाहिए था।
कुशवाहा के पत्र का मूल पाठ
महोदया,
जैसा कि आप जानती हैं कि आवेदक एक सामाजिक कार्यकर्ता है जिसे 2007 में बहुजन समाज पार्टी के सत्ता में आने पर आपने ही कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया था और परिवार कल्याण समेत विभिन्न विभागों का चार्ज सौंपा था। परिवार कल्याण विभाग के दो मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की हत्याओं की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए आवेदक ने सात अप्रैल 2011 को कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 2007 में बसपा के सत्तारूढ़ होते ही नसीमुद्दीन सिद्दीकी जैसे कुछ प्रभावशाली मंत्री, कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह व प्रमुख सचिव गृह कुंवर फतेह बहादुर जैसे मौजूदा सरकार के कुछ च्च्च पदस्थ नौकरशाह आवेदक से सदैव ईष्र्या करते थे और व्यक्तिगत रंजिश रखते थे। अप्रैल 2011 में आवेदक के कैबिनेट से इस्तीफा देते ही यह प्रभावशाली व्यक्ति व्यक्तिगत हिसाब बराबर करने के लिए उसके खिलाफ एकजुट हो गए। आवेदक को यह आशंका है कि यह तीनों व्यक्ति उसे, रिश्तेदारों और समर्थकों को झूठे कल्पित मामलों में फंसाकर सार्वजनिक जीवन में उसकी छवि धूमिल करने के लिए अपने प्रभावशाली पद व सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर सकते हैं, जैसा कि बांदा और झांसी की हाल की घटनाओं से विदित हुआ है।
यह तीनों व्यक्ति आवेदक से इस हद दुश्मनी रखते हैं कि आवेदक को आशंका है कि तीनों उसके खिलाफ षड्यंत्र रच सकते हैं और उनसे उसे जान का खतरा भी है। आपसे आग्रह है कि आप इस मामले को देखें और इन तीनों को ऐसी गतिविधियों में लिप्त न होने का निर्देश दें जिससे कि आवेदक को अनावश्यक और गैरकानूनी तरीके से सार्वजनिक जीवन में बदनामी न झेलनी पड़े और उसके जीवन की रक्षा भी हो सके।
भवदीय
बाबू सिंह कुशवाहा