बुधवार, 29 अगस्त 2012

काले रंग के भारतीयों पर फबता है सोना !

चीनी अखबार ने किया व्यंग्य, काले रंग के भारतीयों पर फबता है सोना

बीजिंग/एजेंसी
Story Update : Wednesday, August 29, 2012    12:34 AM
chinese newspapers satirical commentary on the indians
‘भारतीय काले रंग के होते हैं इसी लिए उन पर सोने के गहने फबते (अच्छे लगते) हैं।’ चीन के एक सरकारी अखबार ने भारतीयों के सोना पहनने की संस्कृति को कुछ इसी तरह तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। अभिनेत्री ऐश्वर्या राय और अन्य मॉडल की तसवीरों के साथ प्रकाशित इस आलेख को नस्ली माना जा रहा है।

पीपुल्स डेली ऑनलाइन ने किया व्यंग्य
पीपुल्स डेली ऑनलाइन ने कहा है, ‘कान में बाली और गले में हार पहने महिलाओं को यहां-वहां देखा जा सकता है। यहां तक कि सड़क के किनारे भीख मांगने वाली छोटी लड़कियां भी सोने के आभूषण पहने दिख जाती हैं।’ अखबार ने व्यंग्यपूर्ण लहजे में कहा है कि भारतीय महिलाएं तो सोने का आभूषण पहने बगैर बाहर ही नहीं निकलती हैं।

आभूषणों के लेन-देन का भी उड़ाया मजाक
भारत में पुरुषों का आभूषण पहनना भी सामान्य बात है। शादियों में भी माता-पिता दहेज के रूप में अपनी बेटियों को सोने के गहने देते हैं। यह केवल बेटी की सुंदरता के लिए ही नहीं बल्कि शादीशुदा जिंदगी में भी उसके काम आता है। छोटे शहरों में भी आभूषणों की दुकानें खुल गई हैं। सोना खरीदने को बढ़ावा देने वाली भारत सरकार की ‘पेपर गोल्ड’ योजना का भी जिक्र किया गया है।

सोने का बड़ा आयातक देश है भारत
गौरतलब है कि एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष चीन सबसे बड़े सोने के आयातक देश भारत से आगे निकल सकता है। चीन में सोने की मांग तेजी से बढ़ रही है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, वर्ष के शुरुआती छह महीनों में चीन में 417 टन सोने की मांग रही जबकि भारत में 383.2 टन। हालांकि जनवरी-मार्च 2012 के दौरान भारत सोने का सबसे बड़ा आयातक देश बना रहा, यहां 209 टन सोने का आयात हुआ जबकि चीन में 136 टन।

सब जगह मंत्री बेव्कूफ्फ़ ही बनाये जाते हैं

महिलाओं ने महाराष्ट्र सरकार के मंत्री लक्ष्मण ढोबले को चप्पलों से पीटा..

महाराष्ट्र में दुष्कर्म की शिकार महिलाओं पर जल वितरण मंत्री लक्ष्मण ढोबले के भाषण ने ‘जले पर नमक छिड़कने’ जैसा काम किया. महिलाओं ने आव देखा न ताव बस, दे दनादन मंत्रीजी 
को चप्पलों से धुन डाला.

घटना रविवार शाम की है. महाराष्ट्र के वॉटर सप्लाई मिनिस्टर एक लक्ष्मण ढोबले स्थानीय साहित्य सम्मेलन में भाषण दे रहे थे. एनसीपी पार्टी के ढोबले का बयान था कि बलात्कार और यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को बेवजह प्रदर्शन और आंदोलन करने से कुछ हासिल नहीं होने वाला. किसी दलित महिला पर बलात्कार हो, तो वह महिला अपने बच्चों को पढ़ा-लिखाकर वकील-जज बनाए. इसके बाद ही उसे न्याय मिलेगा. बस मंत्रीजी के यह कहने भर की देर थी कि महिलाओं का गुस्सा सांतवें आसमान पर पहुंच गया.
मंत्री महोदय नागपुर में आयोजित चौथे राज्यस्तरीय ‘अन्ना भाऊ साठे साहित्य सम्मेलन’ में प्रवचननुमा भाषण दे रहे थे. शुरुआत में उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में पिछड़े वर्गो के लिए रखी गई 4,430 करोड़ के बजट की राशि दलित कार्यकर्ता अपनी-अपनी जातियों को दिलाने में जुटे रहते हैं.
-चप्पल जूतों की बारिश
इसके बाद उन्होंने बलात्कार की शिकार महिलाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मोर्चे निकालने से कुछ हासिल नहीं होता. उनके इस बयान से लोग नाराज हो गए. महिलाओं ने उनके साथ धक्का-मुक्की शुरू कर दी. फिर देखते ही देखते मंत्री पर चप्पलें बरसने लगीं. वहां मौजूद एक चश्मदीद ने बताया कि एक व्यक्ति ने मंत्रीजी के गाल पर तमाचा जड़ने का भी प्रयास किया.
इसके बाद अपनी झेंप मिटाने के लिए मंत्रीजी पिटाई की बात से मुकर गए. उन्होंने कहा मेरी पिटाई नहीं हुई, बस कुछ अराजक लोगों ने मेरे खिलाफ नारे लगाए थे. मेरे समर्थकों ने उन्हें मेरी तरफ से जवाब दे दिया. इससे पहले भी जनवरी में सतारा जिले में पुरुषों द्वारा एक दलित महिला को निर्वस्त्र घुमाने की घटना पर विवादास्पद बयान देकर मंत्रीजी फंस चुके हैं.
-इधर फिसली जुबान, उधर चली चप्पलें
वैसे अपने देश में मंत्रियों की जुबान फिसलने पर उनकी पिटाई होना कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी कई मंत्रियों की जुबान फिसलने पर जनता चप्पलों से उनका स्वागत कर चुकी है.
एक बार कर्नाटक के एक वरिष्ठ मंत्री की उन्हीं की पार्टी के एक कार्यकर्ता ने अति सुरक्षा वाले राज्य सचिवालय में सरे आम चप्पल से पिटाई की थी. बताया जाता है कि यह कार्यकर्ता उसे राज्य संचालित किसी निगम या बोर्ड का प्रमुख बनाने में मंत्री द्वारा मदद नहीं किए जाने से नाराज था. राज्य के आवास मंत्री वी.सोमण्णा जैसे ही विधान सौध स्थित अपने कक्ष से बाहर निकले, बी. एस. प्रसाद नाम के कार्यकर्ता ने उन्हें चप्पल दे मारी.

कश्मीर में सेना के जवानों ने वर्ष 2002 में श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर पंथा चौक के समीप राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति राज्यमंत्री बशीर अहमद नेंगरू और उनके पुत्र की कथित तौर पर पिटाई कर दी थी.
वहीं पिछले साज राजधानी दिल्ली में आयोजित एक समारोह से बाहर निकलते समय केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार को एक सिरफिरे युवक ने सरेआम जोरदार थप्पड़ जड़ दिया था. थप्पड़ मारने वाले शख्स का नाम हरविंदर है और वह दिल्ली के रोहिणी इलाके का रहने वाला है. जैसे ही शरद पवार एक समारोह से बाहर निकले तभी वहा ताक में बैठे युवक हरविंदर ने मीडिया को हटाते हुए शरद पवार को जोरदार थप्पड़ जड़ दिया था. इसके बाद वहा मौजूद मीडिया के लोगों ने युवक को पकड़ लिया लेकिन हरविंदर ने इस दौरान चाकू निकाल लिया और हवा में लहराने लगा. आरोपी मानसिक रूप से बीमार बताया गया था. आपको बता दें कि यह वही शख्स है जिसने कोर्ट के बाहर पूर्व दूरसंचार मंत्री सुखराम पर भी हमला किया था. इस घटना के बाद शरद पवार को अपना सिर छिपाने के लिए कहना पड़ा था कि इसे गंभीरता से न लिया जाए, मुझे कोई नुकसान नहीं हुआ. बावजूद इसके केंद्रीय कृषि मंत्री के नजदीक एक हमलावर का पहुंच जाना कई सवाल खड़े कर देता है.
(जागरण)

रविवार, 26 अगस्त 2012

जांच की जद में संस्कृत विवि


जांच की जद में संस्कृत विवि के दो अधिकारी भी

Aug 26, 01:04 am
फिर धमकी सीबीसीआइडी की टीम, खंगाले गए अभिलेख
जागरण संवादाता, वाराणसी : फर्जीवाड़े की जांच कर रही सीबीसीआइडी की टीम शनिवार को फिर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में धमकी। इस दौरान टीम ने तीन कर्मचारियों का बयान लिया और परीक्षा अभिलेखों को भी खंगाला। सीबीसीआइडी की जांच की जद में विश्वविद्यालय के पूर्व दो अधिकारी भी हैं।
टीम ने कर्मचारियों से अभिलेखों के रखरखाव का तरीका व अधिकारियों के नाम भी पूछे। ज्ञात हो कि विशिष्ट बीटीसी व बीटीसी में बड़े पैमाने पर संस्कृत विश्वविद्यालय के डिग्रीधारक चयनित हुए हैं। जांच में अधिकतर डिग्रीधारियों के अंकपत्र फर्जी मिले है। इसे देखते हुए शासन ने फर्जीवाड़ा की जांच सीबीसीआइडी को सौंप दी है। इस क्रम में सीबीसीआइडी की टीम कई बार जांच करने संस्कृत विश्वविद्यालय आ चुकी है। सूत्रों के अनुसार बागपत डायट को भेजी गई 198 सत्यापन रिपोर्टो की जांच की जा रही है। प्रथम दृष्टया इस रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा देखने को मिला है। विश्वविद्यालय के अभिलेख में जो छात्र ही नहीं हैं, सत्यापन रिपोर्ट में उन्हें प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण बताया गया है। इतना ही नहीं, सत्यापन रिपोर्ट की मूल व कार्बन कॉपी में काफी अंतर है। दोनों कॉपियों में एक ही अनुक्रमांक पर अलग-अलग परीक्षार्थियों के नाम का उल्लेख किया गया है। सीबीसीआइडी इस फर्जीवाड़े में लिप्त लोगों के बारे में पता लगाने में जुटी हुई है। शनिवार को विश्वविद्यालय बंद होने के कारण जांच पूरी नहीं हो सकी।