बुधवार, 23 मई 2012

भ्रष्टाचार की महारानी

(अमर उजाला से)

एनआरएचएम घोटाले में मायावती का भी नाम

जौनपुर/ब्यूरो
Story Update : Monday, May 14, 2012    9:04 AM
mayawati also named in NRHM scandal
एनआरएचएम घोटाले में बसपा मुखिया व पूर्व सीएम मायावती का भी नाम आ रहा है। काफी दिनों तक परिवार कल्याण की मुखिया वह खुद रही हैं। यह खुलासा प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने किया है।

सबका हिसाब लेगी CBI
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एनआरएचएम घोटाले के चलते स्वास्थ्य विभाग की छवि खराब हुई है। मंत्री, माफिया और कुछ अधिकारी आज जेल में हैं। कुछ माफिया किस्म के लोगों से साठगांठ कर पूरी योजना का बंटाधार किया गया। घोटाले में बीएसपी मुखिया मायावती का नाम भी आ रहा है। सीबीआई सबका हिसाब लेगी। हमने सीबीआई को जांच में पूरा सहयोग देने का भरोसा दिया है। स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के क्रम में दो महीने के भीतर आधा दर्जन से अधिक चिकित्सक निलंबित किए जा चुके हैं। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सरकार के पास फंड की कमी नहीं है। अस्पतालों में तीन दिन के बजाय अब मरीजों को पांच दिन की दवा देने के आदेश दिए गए हैं।

दवा खरीद की व्यवस्था विकेंद्रीकृत
निगोह के कराह पूजन कार्यक्रम से लौटे अहमद हसन ने पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं को सर्वसुलभ और पारदर्शी बनाने की बात कही। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश से दवा माफिया का कॉकस तोड़ा जाएगा। दवा खरीद की व्यवस्था विकेंद्रीकृत की जा रही है। जिला स्तर पर दवा खरीद होगी। खरीद के नियम, दवा कंपनियों के नाम, दवाओं के रेट तय किए जा रहे हैं।

1500 चिकित्सकों की तैनाती
मंत्री ने माना कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और समुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि सुधारने के प्रयास शुरू हो गए हैं। दस वर्ष से अधिक समय से एक स्थान पर तैनात डाक्टर और कर्मचारियों के तबादले किए जा रहे हैं। अभी हमने 1500 चिकित्सकों की तैनाती की है। चिकित्सकों से ही पोस्टिंग के लिए तीन विकल्प मांगे थे ताकि पारदर्शिता बनी रहे। संविदा चिकित्सकों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। वे काम करते रहेंगे और उनकी संविदा अपने आप रिन्यू हो जाएगी। संविदा नवीनीकरण के नाम पर चिकित्सकों को परेशान नहीं किया जाएगा।

भ्रूण हत्या को गंभीर समस्या बताते हुए सख्त कार्रवाई का भरोसा दिया। कहा कि पीएनडी एक्ट के तहत आज तक किसी चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। हमने कहा है कि भ्रूण की जांच करने वाले और भ्रूण हत्या में लिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
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माया राज के सावित्री बाई फुले योजना में भी घोटाला उजागर

रमण शुक्ला/लखनऊ
Story Update : Wednesday, May 23, 2012    12:26 AM
Maya government Savitri Bai Phule Scheme scam exposed
एनआरएचएम, मनरेगा, चीनी मिल बिक्री और टीईटी जैसे घोटाले के बाद अब माया राज की एक और लोकप्रिय योजना सावित्री बाई फुले बालिका शिक्षा मदद में भी घोटाला सामने आया है।

माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से सूबे में संचालित इस योजना में फर्जी बीपीएल कार्ड पर छात्राओं को शिक्षा मदद राशि और साइकिल देने का खुलासा विभागीय ऑडिट रिपोर्ट में किया गया है। विभागीय जांच में जो खुलासे हुए हैं उसकी हकीकत बेहद चौंकाने वाले हैं। कई जिलों की फाइलों में गड़बड़ियां सामने आने के बाद जांच उच्चस्तरीय जांच की सिफारिश की गई है।

पिछले चार वित्तीय वर्ष यानि 2008-09 से लेकर 2010-11 तक के ऑडिट के दौरान बीपीएल श्रेणी की सैकड़ों ऐसी छात्राओं के नाम सामने आए हैं जिनके खाते में एक वित्तीय वर्ष में दो-दो बार भुगतान दिखाया गया है। ऑडिटर्स ने फर्जी बीपीएल कार्ड बनाकर छात्राओं को भुगतान करने, शासन के निर्देशों को दरकिनार सरकारी खजाने से पैसा निकालने और महीनों तक पैसा बैंक खाते में रखने पर सवाल खड़ा किया है।

ऑडिट में रिपोर्ट में कहा गया है कि छात्राओं को दी गई कुल मदद राशि में 75 फीसदी भुगतान फर्जी बीपीएल कार्ड पर किया गया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि सीधे तौर पर अनियमितता के लिए स्कूल प्रिंसिपल और जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) को जिम्मेदार ठहराया गया है।

कहां-कहां गड़बड़ियां
सादे बीपीएल कार्ड पर नाम-पता लिखकर छात्राओं को बीपीएल दिखा दिया गया है। ऑडिटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सैकड़ों छात्राओं के बीपीएल कार्ड पर व्हाइटनर लगाकर नाम बदला गया है। ऐसे बीपीएल कार्ड में न तो यूनिट संख्या दर्ज है और न ही कार्ड जारी करने वाले अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं।

ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वाधिक फर्जी बीपीएल कार्ड पर भुगतान वित्तविहीन स्कूलों में किया गया है। इसी तरह साइकिल खरीद में भारी गड़बड़ियां की गई हैं। किसी भी साइकिल की खरीद पर गुणवत्ता को लेकर कोई गारंटी नहीं ली गई। कोई स्टॉक रजिस्टर नहीं बनाया गया। कितनी साइकिल की खरीद हुई और किन-किन छात्राओं को स्टोर से साइकिल भिजवाई गई। इसका कोई ब्योरा स्टॉक रजिस्टर में नहीं है।

अफसरों ने महीनों पहले सरकारी खजाने से पैसा निकाल कर बैंकों में खाता खुलवाकर जमा कर दिए। ऐसा करके अफसरों ने बैंकों से लाखों रुपये की कमाई की। वहीं छात्राओं के खाते में फंड ट्रांसफर करने में भी लाखों रुपये की अनियमितता की गई है। सैकड़ों ऐसे चेक बना दिए गए जिसमें खाता नंबर गलत डाल दिया गया था। इसी तरह लाखों रुपये का फर्जी भुगतान करने की गड़बड़ी भी पकड़ में आई है।

क्या थी योजना
2009 में मुख्यमंत्री मायावती ने 11वीं और 12वीं में पढ़ने वाली बीपीएल एवं अन्त्योदय छात्राओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से सावित्री बाई फुले बालिका शिक्षा मदद योजना का ऐलान किया था। योजना के तहत 11वीं में पढ़ने वाली छात्राओं को 15,000 रुपये व एक साइकिल और 12वीं में पढ़ने वाली छात्राओं को 10,000 रुपये देने का प्रावधान किया गया था।

छात्राओं को योजना का लाभ वित्तीय वर्ष 2008-09 से दिया जा रहा है। योजना लागू करने के साथ सरकार ने सहायता राशि और साइकिल जिले स्तर पर खरीदने एवं बांटने का निर्णय लिया था। राशि का भुगतान छात्राओं के बैंक खाता खुलवाकर सीधे खाते में करने के निर्देश दिए गए थे।

सावित्री बाई फुले योजना में छात्राओं को मदद शिक्षा राशि और साइकिल देने में अगर अनियमितता की बात सामने आएगी तो पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। गड़बड़ी करने वाले को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। फिलहाल हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है।-वासुदेव यादव, निदेशक, माध्यमिक शिक्षा विभाग

2007 से 2011 के बीच हुए चर्चित घोटाले
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- एनआरएचएम घोटाला:--5700 करोड़
- मनरेगा घोटाला:--12000 करोड़
- चीनी मिल बिक्री घोटाला:--1180 करोड़
- टीईटी घोटाला:--120 करोड़
- फीस प्रतिपूर्ति घोटाला:--20-25 करोड़
- नोएडा प्लाट आवंटन घोटाला:--5000 करोड़
- शौचालय निर्माण घोटाला:--2900 करोड़
- ढैंचा बीज घोटाला:--56 करोड़
- गेहूं बीज घोटाला:--50 करोड़
- बाण सागर परियोजना घोटाला:--1286 करोड़
- सरयू परियोजना घोटाला:--उपलब्ध नहीं
- यूपीएसआईडीसी भर्ती घोटाला:--उपलब्ध नहीं


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सोमवार, 21 मई 2012

अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार

मनमोहन सरकार अब तक की सबसे भ्रष्ट

May 21, 03:23 am
नई दिल्ली। आठ साल सत्ता में रहने के बाद कांग्रेसनीत संप्रग सरकार धीरे-धीरे अपनी जमीन खो रही है। एक ताजा सर्वेक्षण में मनमोहन सरकार को आजादी के बाद सबसे भ्रष्ट सरकार का दर्जा दिया गया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की लोकप्रियता घटी है। जबकि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी लोकप्रियता के मामले में सबसे आगे हैं। यह सर्वेक्षण ऐसे समय आया है जब संप्रग-2 सरकार 22 मई को ही अपने तीन साल पूरे करने जा रही है।
अप्रैल-मई के दौरान देश के 28 शहरों में किए गए एबीपी न्यूज-नील्सन के सर्वे के मुताबिक संप्रग के मुकाबले भाजपा की साख मजबूत हुई है। सर्वेक्षण के मुताबिक अगर आज लोकसभा चुनाव हो जाएं, तो भाजपा को 28 फीसदी वोट मिलेंगे, जबकि कांग्रेस को 20 फीसदी से ही संतोष करना होगा। हालांकि, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अच्छा या बहुत अच्छा बताने वालों की तादाद 37 फीसदी रही। संप्रग सरकार प्रदर्शन के मामले में औसत अंक 2.95 के साथ नीचे उतरी है, जबकि पिछले साल उसे 3.22 औसत अंक मिले थे।
सर्वे में शामिल 57 फीसदी लोगों का कहना था कि आजादी के बाद संप्रग-2 सरकार देश की सबसे भ्रष्ट सरकार है। 25 फीसदी लोग चाहते हैं कि सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए तत्काल कदम उठाए। सर्वे के मुताबिक 24 फीसदी लोगों ने खाद्य व पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों पर लगाम के लिए निगरानी की बात कही।
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को लोगों ने 17 फीसदी वोट के साथ देश के सबसे अच्छे नेता के तौर पर स्थापित किया है। जबकि मनमोहन सिंह इस मामले में उनसे महज एक फीसदी पीछे रहे। राहुल की लोकप्रियता पिछले वर्ष की 19 फीसदी से घटकर 13 फीसदी रह गई। सोनिया पिछले साल के 14 फीसदी के मुकाबले इस साल नौ फीसदी पर ही रह गई।

रविवार, 20 मई 2012

शूटर दे दो एमएलसी साहब!


सीबीआइ ने कहा शूटर दे दो एमएलसी साहब!

May 19, 10:19 pm
लखनऊ [जाब्यू]। राजधानी के डबल सीएमओ मर्डर केस की जांच कर रही सीबीआइ ने शनिवार को दो चक्रों में बसपा एमएलसी संजीव उर्फ रामू द्विवेदी से करीब तीन घंटे तक पूछताछ की। सीबीआइ अधिकारियों ने बसपा एमएलसी से सीएमओ मर्डर टीम में शामिल शूटरों के बारे में सवाल किया और कहा कि आप चाहो तो शूटर उपलब्ध हो सकते हैं। अभिसूचना संकलन में सीबीआइ को राजधानी के डबल सीएमओ मर्डर केस में फरार चल रहे दो शूटरों से रामू के करीबी रिश्ते की खबर लगी है। इसीलिए उनसे लगातार पूछताछ की जा रही है। पहले चक्र की पूछताछ में रामू काफी संयत रहे, लेकिन दोबारा सीबीआइ अधिकारियों के सवालों ने उन्हें पसीने-पसीने कर दिया।
सीबीआइ टीम ने शुक्रवार को पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अनंत कुमार मिश्रा उर्फ अंटू मिश्रा से लंबी पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ते ही रामू द्विवेदी को फोन किया। उनकी लोकेशन पूछी तो पता चला कि वह देवरिया में हैं। सीबीआइ के एएसपी हरी सिंह ने रामू को शनिवार सुबह दस बजे विवेकानंद मार्ग स्थित राज्य अतिथि गृह में पहुंचने को कहा। रामू 11 बजकर 35 मिनट पर अतिथि गृह पहुंचे। आधे घंटे तक उनकी नोटिस नहीं ली गयी। बाद में अधिकारियों ने उनसे थोड़ी देर तक पूछताछ की और कहा कि ठीक साढ़े तीन बजे हाजिर हो जाओ। साढ़े 12 बजे रामू अतिथि गृह से मुस्कुराते हुए बाहर निकले और ठीक साढ़े तीन बजे दोबारा अतिथि गृह में पहुंचे।
सूत्रों के मुताबिक रामू से सबसे पहले यही सवाल हुआ कि देवरिया में कौन-कौन शूटर हैं और किससे किससे उनकी आमदरफ्त है? रामू ने कहा कि मैं जनप्रतिनिधि हूं और शूटरों के बारे में क्या जानूं। फिर सीबीआइ अधिकारियों ने उनके पुराने केस की सूची सामने कर दी। रामू बोले गैंगस्टर और एक दो केस छोड़कर शेष समाप्त हो गए हैं। सीबीआइ अधिकारियों ने कहा कि गैंगस्टर को शूटरों के बारे में जानकारी नहीं है? रामू ने कहा कि छात्र जीवन और आज के जीवन में अंतर है। सीबीआइ अधिकारियों ने कहा कि एमएलसी साहब नेपाल में फरारी काट रहा शूटर आपके करीब है, उसे बुलवा दो। रामू ने कहा कि मैं उसे नहीं जानता। सीबीआइ ने दोनों के बीच आमदरफ्त होने के सबूत होने का दावा किया। रामू चुप्पी साध गए। फिर उनके एकाउंट, फर्म और पुराने इतिहास पर भी पूछताछ होती रही। रामू ने कहा कि मेरी कोई फर्म नहीं है। थोड़ी देर के लिए रामू को डाक्टर शुक्ला के भी सामने किया गया।
सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ रामू द्विवेदी से अनंत मिश्रा और डाक्टर शुक्ला की टीम से संबंधों के बारे में भी पूछताछ करती रही। इस दौरान रामू ने कहा कि इन लोगों से उनके संबंध नहीं रहे। अलबत्ता बाबू सिंह कुशवाहा एंड कंपनी से उन्होंने करीबी संपर्क बताया। सीबीआइ अधिकारियों ने रामू के करीबी सांसद से जब अनंत मिश्रा से अच्छे संबंधों का उदाहरण दिया तो उन्होंने यह माना कि उन लोगों के अच्छे संबंध रहे हैं। ऐसे ही सवालों के बीच सीबीआइ के अधिकारी रामू द्विवेदी से बार-बार शूटर और पिस्टल के बारे में तहकीकात करते रहे। सीबीआइ ने उनसे बार-बार यही कहा कि वह चाहें तो शूटर को ला सकते हैं। रामू को सहयोग का मौका देते हुए सीबीआइ अधिकारियों ने कभी भी बुलाए जाने की नसीहत के साथ शाम पांच बजकर बीस मिनट पर छोड़ दिया। वापसी में रामू ने मीडिया से कहा कि उनको सीबीआइ ने बुलाया था। वह उनके सवालों को जवाब देकर जांच में सहयोग कर रहे हैं। ध्यान रहे कि सीबीआइ रामू से पहले भी पूछताछ कर चुकी है।
गवाह बन सकते हैं डा. शुक्ला:-
डबल सीएमओ मर्डर केस में रिमांड पर लिए गए पूर्व सीएमओ डाक्टर एके शुक्ला पूरे दिन सहज रहे। वह दिन भर टीवी देखते रहे और बीच बीच में अपने अधिवक्ता रामकेवल त्रिपाठी और आशीष कुमार शुक्ला से परामर्श लेते रहे। कभी कभार सीबीआइ अधिकारियों ने उनसे दस बीस मिनट बातचीत की। सूत्रों का कहना है कि शुक्ला सीबीआइ का सहयोग करने को तैयार हैं। वह सीबीआइ के गवाह भी बन सकते हैं। सीबीआइ मुख्यालय से आए एक अधिकारी से डाक्टर शुक्ला की रात्रि आठ बजे मुलाकात होनी है।
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ब्रह्मण  जैसा शातिर कोई नहीं, इलाका कोई भी हो सकता है. 
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यूपी में अब एसी बस घोटाला

May 21, 12:57 am
लखनऊ। सूबे में नई सरकार के गठन के बाद घोटालों की श्रृंखला खुलने लगी है। अब परिवहन निगम में भी घोटाले की परत खुल रही है। 200 सीएनजी बसों के निर्माण में गुणवत्ता घटिया होने के मामले को आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने जांच के रडार पर ले लिया है। परिवहन निगम में लक्जरी कारों की खरीद से लेकर अतिथि गृहों में भारी खर्च से बेमतलब की हुई सजावट सहित कई मामलों की पड़ताल शुरू हो गई है।
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने परिवहन निगम में हुई अनियमितताओं को लेकर जांच के दस बिंदु निर्धारित किए हैं। सबसे पहला बिंदु बाहरी माध्यमों से सीएनजी बसों का निर्माण कराने का ही है। बाहरी माध्यम से बसों की सीटें बनवाए जाने को भी जांच के दायरे में लाया गया है। एसी बसों के किराए में पीक सीजन के दौरान 20 फीसद छूट देने के मौखिक आदेश के कारण व निहितार्थ, दोनों खंगाले जा रहे हैं। यात्री सुविधा धन के दुरुपयोग की शिकायतों की जांच हो रही है। जांच एजेंसी की दिलचस्पी इस बात में भी है कि बस अड्डों का निर्माण परिवहन विभाग ने खुद करने की बजाय जल निगम के बाहरी पेटी ठेकेदारों से क्यों कराया।
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने कैसरबाग बस अड्डे को तोड़कर दोबारा बनाए जाने को भी जांच के दायरे में ले लिया है। इसकी पड़ताल की जा रही है कि 50 लाख रुपये से अधिक की अत्याधुनिक कारों की खरीद किस विधि से की गई। इसके अलावा टायर रीट्रीडिंग मैटीरियल के लिए सहारनपुर के एक व्यक्ति को अलग-अलग कई नामों से खरीद का आदेश जारी करने, बीते तीन वर्षों में निगम में खरीदे गए एअर कंडीशनर व कारों का उपयोग व उनका भौतिक सत्यापन सुनिश्चित करने तथा परिवहन निगम के अतिथि गृहों की साज-सज्जा पर अनावश्यक किए गए खर्च को भी जांच के दायरे में शामिल किया गया है।
तलब की जानकारी
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक से विभिन्न कार्यों से जुड़े रहे अधिकारियों की जानकारी तलब की है। प्रबंधन से पूछा है कि सभी बिंदुओं से संबंधित कार्य निगम के किस विभाग से कराये गए। इन कार्यों से जुड़े अधिकारियों के नाम और पदनाम भी मांगे गए हैं। इन विभागों के पर्यवेक्षण अधिकारियों के भी नाम और पदनाम तलब किए गए हैं। इन कार्यों के समय निगम में अपर प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यरत रहे एक अधिकारी की हर बार तैनाती का पूर्ण विवरण मांगा गया है। साथ ही जांच को समय पर पूरा करने के लिए निगम से एक ऐसा नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा गया है, जिसे तथ्यों की जानकारी हो। इस बाबत निगम के प्रबंध निदेशक आलोक कुमार से संपर्क किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।