रविवार, 15 अप्रैल 2012

राजा भैया के खिलाफ खाद्यान्न घोटाला मामले में सीबीआई शिकंजा कस सकती है।


राजा भैया पर शिकंजा कस सकती है सीबीआई

नई दिल्ली/पीयूष पांडेय
Story Update : Sunday, April 15, 2012    12:54 AM
Raja Bhaiya up case Food Scandal
उत्तर प्रदेश के जेल मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ खाद्यान्न घोटाला मामले में सीबीआई शिकंजा कस सकती है।

एजेंसी ने 2004 में खाद्य मंत्री रहे निर्दलीय विधायक के एक पुराने साथी और उनके तत्कालीन जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) की ओर से लगाए गए आरोपों के आधार पर जांच तेज कर दी है। एजेंसी ने दोनों को इस बाबत लखनऊ कार्यालय भी बुलाया है। शिकायत में राजा भैया पर कई करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का गंभीर आरोप लगाया गया है।

प्रतापगढ़, कुंडा से निर्दलीय विधायक राजा के पुराने साथी रहे मनोज कुमार को एजेंसी ने शनिवार को नोटिस जारी कर बयान देने के लिए बुलाया है। जबकि राजा भैया के पीआरओ रहे राजीव कुमार ने जान के खतरे की आशंका दर्शाते हुए सीबीआई से लखनऊ कार्यालय की बजाय उन्हें हेडक्वार्टर दिल्ली में अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होने की गुजारिश की है।

मनोज पर कई आपराधिक आरोप हैं। सूत्रों के अनुसार पहले वह राजा के इशारे पर ही काम करते थे। कुमार को भी एजेंसी ने गवाह के तौर पर उपस्थित होकर बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस दिया है। कुमार के अनुसार एजेंसी राजा भैया की भूमिका की जांच एक साल से कर रही है। लेकिन उसके पास अब तक कोई ठोस सुबूत नहीं था।

यही वजह थी कि राज्य में बसपा सरकार कार्यकाल के दौरान एजेंसी निर्दलीय विधायक के खिलाफ शिकंजा नहीं कस सकी। लेकिन अब ऐसा संभव हो सकता है, क्योंकि सीबीआई के पास कई ठोस सुबूत और गवाह हैं। कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में भी राजा भैया के खिलाफ आवेदन दायर किया है। इस आवेदन पर 13 अप्रैल को सुनवाई होनी थी। लेकिन एजेंसी की ओर से कोई अधिवक्ता पेश न होने पर मामला 26 अप्रैल तक के लिए टल गया।

हालांकि सीबीआई का कोई अधिवक्ता पेश न होने पर अदालत ने एजेंसी को आगाह किया था कि भविष्य में ऐसी हरकत नहीं होनी चाहिए। क्योंकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में अनियमितता से जुड़ा यह घोटाला बहुत गंभीर मामला है। आवेदन में कुमार ने आरोप लगाया है कि 2004 में जब राजा भैया खाद्य मंत्री थे, तब उन्होंने पीडीएस के राशन की कालाबाजारी से मिले करोड़ों रुपये को कई प्रोजेक्टों में लगाया था।

इन तमाम प्रोजेक्टों का प्रबंधन वह करते थे। इस दौरान उन्होंने मंत्री के निर्देश पर कई बैंकों में भारी रकम जमा करवाई थी। कुमार का आरोप है कि इस धन से लखनऊ, इलाहाबाद और दिल्ली के पॉश इलाकों में कई संपत्तियां खरीदी गई हैं। आवेदन के साथ उन्होंने इसका ब्यौरा अदालत को दिया है।

हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू हुई थी जांच
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिसंबर 2010 में खाद्यान्न घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। आदेश में यह भी कहा था कि अभियुक्त सरकारी अफसरों के खिलाफ सरकार तीन माह के अंदर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं देती तो इस देरी को सरकार की मंजूरी माना जाएगा।

सरकारी अफसरों पर मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी न लेने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने बाद में रोक लगा दी थी। करोड़ों रुपये के इस घोटाले में राज्य के एक पूर्व मंत्री आठ माह से जेल में हैं। यूपी सरकार ने हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

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