रविवार, 20 मई 2012

शूटर दे दो एमएलसी साहब!


सीबीआइ ने कहा शूटर दे दो एमएलसी साहब!

May 19, 10:19 pm
लखनऊ [जाब्यू]। राजधानी के डबल सीएमओ मर्डर केस की जांच कर रही सीबीआइ ने शनिवार को दो चक्रों में बसपा एमएलसी संजीव उर्फ रामू द्विवेदी से करीब तीन घंटे तक पूछताछ की। सीबीआइ अधिकारियों ने बसपा एमएलसी से सीएमओ मर्डर टीम में शामिल शूटरों के बारे में सवाल किया और कहा कि आप चाहो तो शूटर उपलब्ध हो सकते हैं। अभिसूचना संकलन में सीबीआइ को राजधानी के डबल सीएमओ मर्डर केस में फरार चल रहे दो शूटरों से रामू के करीबी रिश्ते की खबर लगी है। इसीलिए उनसे लगातार पूछताछ की जा रही है। पहले चक्र की पूछताछ में रामू काफी संयत रहे, लेकिन दोबारा सीबीआइ अधिकारियों के सवालों ने उन्हें पसीने-पसीने कर दिया।
सीबीआइ टीम ने शुक्रवार को पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अनंत कुमार मिश्रा उर्फ अंटू मिश्रा से लंबी पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ते ही रामू द्विवेदी को फोन किया। उनकी लोकेशन पूछी तो पता चला कि वह देवरिया में हैं। सीबीआइ के एएसपी हरी सिंह ने रामू को शनिवार सुबह दस बजे विवेकानंद मार्ग स्थित राज्य अतिथि गृह में पहुंचने को कहा। रामू 11 बजकर 35 मिनट पर अतिथि गृह पहुंचे। आधे घंटे तक उनकी नोटिस नहीं ली गयी। बाद में अधिकारियों ने उनसे थोड़ी देर तक पूछताछ की और कहा कि ठीक साढ़े तीन बजे हाजिर हो जाओ। साढ़े 12 बजे रामू अतिथि गृह से मुस्कुराते हुए बाहर निकले और ठीक साढ़े तीन बजे दोबारा अतिथि गृह में पहुंचे।
सूत्रों के मुताबिक रामू से सबसे पहले यही सवाल हुआ कि देवरिया में कौन-कौन शूटर हैं और किससे किससे उनकी आमदरफ्त है? रामू ने कहा कि मैं जनप्रतिनिधि हूं और शूटरों के बारे में क्या जानूं। फिर सीबीआइ अधिकारियों ने उनके पुराने केस की सूची सामने कर दी। रामू बोले गैंगस्टर और एक दो केस छोड़कर शेष समाप्त हो गए हैं। सीबीआइ अधिकारियों ने कहा कि गैंगस्टर को शूटरों के बारे में जानकारी नहीं है? रामू ने कहा कि छात्र जीवन और आज के जीवन में अंतर है। सीबीआइ अधिकारियों ने कहा कि एमएलसी साहब नेपाल में फरारी काट रहा शूटर आपके करीब है, उसे बुलवा दो। रामू ने कहा कि मैं उसे नहीं जानता। सीबीआइ ने दोनों के बीच आमदरफ्त होने के सबूत होने का दावा किया। रामू चुप्पी साध गए। फिर उनके एकाउंट, फर्म और पुराने इतिहास पर भी पूछताछ होती रही। रामू ने कहा कि मेरी कोई फर्म नहीं है। थोड़ी देर के लिए रामू को डाक्टर शुक्ला के भी सामने किया गया।
सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ रामू द्विवेदी से अनंत मिश्रा और डाक्टर शुक्ला की टीम से संबंधों के बारे में भी पूछताछ करती रही। इस दौरान रामू ने कहा कि इन लोगों से उनके संबंध नहीं रहे। अलबत्ता बाबू सिंह कुशवाहा एंड कंपनी से उन्होंने करीबी संपर्क बताया। सीबीआइ अधिकारियों ने रामू के करीबी सांसद से जब अनंत मिश्रा से अच्छे संबंधों का उदाहरण दिया तो उन्होंने यह माना कि उन लोगों के अच्छे संबंध रहे हैं। ऐसे ही सवालों के बीच सीबीआइ के अधिकारी रामू द्विवेदी से बार-बार शूटर और पिस्टल के बारे में तहकीकात करते रहे। सीबीआइ ने उनसे बार-बार यही कहा कि वह चाहें तो शूटर को ला सकते हैं। रामू को सहयोग का मौका देते हुए सीबीआइ अधिकारियों ने कभी भी बुलाए जाने की नसीहत के साथ शाम पांच बजकर बीस मिनट पर छोड़ दिया। वापसी में रामू ने मीडिया से कहा कि उनको सीबीआइ ने बुलाया था। वह उनके सवालों को जवाब देकर जांच में सहयोग कर रहे हैं। ध्यान रहे कि सीबीआइ रामू से पहले भी पूछताछ कर चुकी है।
गवाह बन सकते हैं डा. शुक्ला:-
डबल सीएमओ मर्डर केस में रिमांड पर लिए गए पूर्व सीएमओ डाक्टर एके शुक्ला पूरे दिन सहज रहे। वह दिन भर टीवी देखते रहे और बीच बीच में अपने अधिवक्ता रामकेवल त्रिपाठी और आशीष कुमार शुक्ला से परामर्श लेते रहे। कभी कभार सीबीआइ अधिकारियों ने उनसे दस बीस मिनट बातचीत की। सूत्रों का कहना है कि शुक्ला सीबीआइ का सहयोग करने को तैयार हैं। वह सीबीआइ के गवाह भी बन सकते हैं। सीबीआइ मुख्यालय से आए एक अधिकारी से डाक्टर शुक्ला की रात्रि आठ बजे मुलाकात होनी है।
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ब्रह्मण  जैसा शातिर कोई नहीं, इलाका कोई भी हो सकता है. 
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यूपी में अब एसी बस घोटाला

May 21, 12:57 am
लखनऊ। सूबे में नई सरकार के गठन के बाद घोटालों की श्रृंखला खुलने लगी है। अब परिवहन निगम में भी घोटाले की परत खुल रही है। 200 सीएनजी बसों के निर्माण में गुणवत्ता घटिया होने के मामले को आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने जांच के रडार पर ले लिया है। परिवहन निगम में लक्जरी कारों की खरीद से लेकर अतिथि गृहों में भारी खर्च से बेमतलब की हुई सजावट सहित कई मामलों की पड़ताल शुरू हो गई है।
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने परिवहन निगम में हुई अनियमितताओं को लेकर जांच के दस बिंदु निर्धारित किए हैं। सबसे पहला बिंदु बाहरी माध्यमों से सीएनजी बसों का निर्माण कराने का ही है। बाहरी माध्यम से बसों की सीटें बनवाए जाने को भी जांच के दायरे में लाया गया है। एसी बसों के किराए में पीक सीजन के दौरान 20 फीसद छूट देने के मौखिक आदेश के कारण व निहितार्थ, दोनों खंगाले जा रहे हैं। यात्री सुविधा धन के दुरुपयोग की शिकायतों की जांच हो रही है। जांच एजेंसी की दिलचस्पी इस बात में भी है कि बस अड्डों का निर्माण परिवहन विभाग ने खुद करने की बजाय जल निगम के बाहरी पेटी ठेकेदारों से क्यों कराया।
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने कैसरबाग बस अड्डे को तोड़कर दोबारा बनाए जाने को भी जांच के दायरे में ले लिया है। इसकी पड़ताल की जा रही है कि 50 लाख रुपये से अधिक की अत्याधुनिक कारों की खरीद किस विधि से की गई। इसके अलावा टायर रीट्रीडिंग मैटीरियल के लिए सहारनपुर के एक व्यक्ति को अलग-अलग कई नामों से खरीद का आदेश जारी करने, बीते तीन वर्षों में निगम में खरीदे गए एअर कंडीशनर व कारों का उपयोग व उनका भौतिक सत्यापन सुनिश्चित करने तथा परिवहन निगम के अतिथि गृहों की साज-सज्जा पर अनावश्यक किए गए खर्च को भी जांच के दायरे में शामिल किया गया है।
तलब की जानकारी
आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक से विभिन्न कार्यों से जुड़े रहे अधिकारियों की जानकारी तलब की है। प्रबंधन से पूछा है कि सभी बिंदुओं से संबंधित कार्य निगम के किस विभाग से कराये गए। इन कार्यों से जुड़े अधिकारियों के नाम और पदनाम भी मांगे गए हैं। इन विभागों के पर्यवेक्षण अधिकारियों के भी नाम और पदनाम तलब किए गए हैं। इन कार्यों के समय निगम में अपर प्रबंध निदेशक के पद पर कार्यरत रहे एक अधिकारी की हर बार तैनाती का पूर्ण विवरण मांगा गया है। साथ ही जांच को समय पर पूरा करने के लिए निगम से एक ऐसा नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा गया है, जिसे तथ्यों की जानकारी हो। इस बाबत निगम के प्रबंध निदेशक आलोक कुमार से संपर्क किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।


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