शनिवार, 16 जुलाई 2011

शशांक की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल


नई दिल्ली।
Story Update : Saturday, July 16, 2011    1:58 AM
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में कैबिनेट सचिव का पद सृजित कर शशांक शेखर को नियुक्ति किए जाने पर सवाल उठाया है। अदालत ने शुक्रवार को कहा कि किस नियम के तहत इस पद पर एक गैर आईएएस-पीसीएस व्यक्ति की नियुक्ति की गई। प्रदेश सरकार यह कैसे कर रही है। क्या राज्य में जंगलराज है जो किसी को भी बिना सोचे-समझे मनमाने तरीके से किसी भी पद पर बैठाया जा रहा है।

नियुक्ति के लिए किस नियम का प्रयोग किया
सर्वोच्च अदालत ने यह टिप्पणी मैगसायसाय पुरस्कार विजेता संदीप पांडेय की ओर से दायर याचिका पर की। याचिका में राज्य सरकार की ओर से कैबिनेट सचिव का पद सृजित कर उस पद पर शशांक शेखर की नियुक्ति करने और उनका कार्यकाल बढ़ाने को निरस्त करने की मांग की गई है। जस्टिस वीएस सिरपुरकर व जस्टिस टीएस ठाकुर की पीठ ने शशांक शेखर की नियुक्ति पर तब उक्त टिप्पणी की, जब कैबिनेट सचिव की ओर से पेश अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में ऐसी ही एक याचिका लंबित होने का हवाला देते हुए याचिका को खारिज करने की मांग की। पीठ ने अधिवक्ता से पूछा कि राज्य सरकार ने कैबिनेट सचिव का पद सृजित करने और नियुक्ति के लिए किस नियम का प्रयोग किया।

सुनवाई में राज्य की ओर से कोई अधिवक्ता नहीं
इस सवाल पर अधिवक्ता की ओर से कोई जवाब न मिलने पर पीठ ने कहा कि याचिका में कहा गया है कि नियुक्ति में इसका ख्याल भी नहीं रखा गया कि व्यक्ति उसके योग्य है भी या नहीं। हालांकि सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से कोई अधिवक्ता मौजूद नहीं था। अदालत ने मामले की सुनवाई अगले शुक्रवार तक के लिए टाल दी। याद रहे कि 4 जुलाई को जस्टिस आफताब आलम की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। गौरतलब है कि याचिका में कहा गया है कि कैबिनेट सचिव के पद पर नियुक्त शशांक शेखर ने आईएएस या पीसीएस नहीं हैं।

सन् 1979 में शशांक की नियुक्ति पायलट के तौर पर हुई थी। इसके बाद 1982 में उन्हें प्रमोशन देकर नागरिक उड्डयन निदेशक बना दिया गया। इसके बाद उन्हें प्रमुख सचिव के पद का कार्य भी दिया गया, जो कि राज्य सरकार का गैरकानूनी और मनमाना रवैया था। याचिका में आरोप लगाया है कि लखनऊ में एक बड़े भू-भाग को शेखर ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर अपने भाई के नाम पर कराई है। याचिकाकर्ता ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। याचिका में केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, कैबिनेट सचिव शशांक शेखर, सीबीआई और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को पक्षकार बनाया गया है।

दिग्गी ने मांगा शशांक शेखर का इस्तीफा
उत्तर प्रदेश के कैबिनेट सचिव शशांक शेखर की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से सवाल उठाने के मुद्दे को कांग्रेस ने पकड़ लिया है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने शशांक शेखर के इस्तीफे की मांग कर मायावती सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। कांग्रेस ने इस मसले पर मायावती सरकार पर अपने फायदे के लिए असंवैधानिक फैसले करने का आरोप लगाया है। दिग्विजय सिंह ने सवाल किया कि जो व्यक्ति कभी आईएएस अफसर नहीं रहा हो, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह किसी जमाने में पायलट था, उसे कैसे नियमों को ताक पर रख कर राज्य का कैबिनेट सचिव बना दिया गया।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से सवाल उठाने के बाद शशांक शेखर को खुद इस्तीफा दे देना चाहिए और अगर वह ऐसा नहीं करते तो मुख्यमंत्री को उन्हें तुरंत इस पद से हटा देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की ओर से माया सरकार को झटके से पार्टी गदगद है। पार्टी का मानना है कि भ्रष्टाचार, किसान आंदोलन, खराब कानून व्यवस्था के मुद्दे पर जूझ रही माया सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट की ताजा टिप्पणी एक और प्रहार है, जिससे निपटना राज्य सरकार के लिए आसान नहीं होगा। कांग्रेस महासचिव ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी से इस सिलसिले में बातचीत कर सूबे में पार्टी द्वारा इस मुद्दे को जोर शोर से उठाने के निर्देश दिए हैं।

अमर उजाला 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें