गुरुवार, 26 जनवरी 2012
मंगलवार, 24 जनवरी 2012
लूट की छूट
एनएचआरएम घोटाले में एक और बलि!
Feb 11, 08:15 am
वाराणसी। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाले की जांच के दौरान शुक्रवार एक और डिप्टी सीएमओ की जान चली गई। वाराणसी जिले के पिंड्रा स्वास्थ्य केंद्र पर जांच के लिए सीबीआइ टीम आने की सूचना पर डॉ. शैलैष वहां जा रहे थे। रास्ते में हादसे का शिकार हो गए। गौरतलब है कि एनआरएचएम घोटाले में ही स्वास्थ्य विभाग के तीन अफसरों की हत्या हो चुकी है। एक अन्य ने खुदकुशी कर ली थी। लोगों का कहना था कि डॉ. शैलेष की मौत मार्ग दुर्घटना में हुई लेकिन इसके लिए भी दागी एनआरएचएम को ही बनना पड़ा। सूत्रों के अनुसार गुरुवार को सीबीआइ टीम ने सीएमओ दफ्तर में दस्तावेज खंगाले थे। शुक्रवार को एनआरएचएम के डिप्टी सीएमओ को बुलाने का निर्देश दिया था। चर्चा रही कि सीएमओ दफ्तर से रवाना होने के बाद डॉ. शैलेष ने कुछ चिकित्सक साथियों व स्वास्थ्य केंद्र के संबंधित बाबू से इस बाबत मोबाइल पर बात भी की थी। लेकिन मौके पर पहुंचने से पहले ही दुर्घटना का शिकार हो गए।
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घोटाले में एक और खुदकुशी | |||
लखनऊ/अमर उजाला ब्यूरो। | |||
Story Update : Tuesday, January 24, 2012 4:31 AM | |||
एनआरएचएम घोटाले में आरोपी और जल निगम के सीएंडडीएस में प्रोजेक्ट मैनेजर सुनील वर्मा ने सोमवार सुबह विकासनगर स्थित अपने आवास में खुद को गोली मारकर जान दे दी। सीबीआई ने चार जनवरी को उनके घर छापामारी कर पूछताछ की थी। सुइसाइड नोट में उन्होंने खुद को बेकसूर और सीबीआई की सर्च व पूछताछ से आहत बताया है। वहीं, सीबीआई ने इस आरोप को निराधार करार दिया है। रिवाल्वर से कनपटी पर गोली मार ली डीआईजी ध्रुवकांत ठाकुर ने बताया कि विकासनगर सेक्टर-6 के मकान नंबर 637 में रहने वाले 55 वर्षीय वर्मा ने सोमवार सुबह 8:30 बजे अपने लाइसेंसी रिवाल्वर से कनपटी पर गोली मार ली। फायर की आवाज पर उनकी पत्नी सरोजनी वर्मा और बेटा विकास कमरे में पहुंचे। फर्श पर खून से लथपथ पड़े वर्मा को अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। बाद में पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वर्मा ने लिखा है सही काम कराया पुलिस ने इंजीनियर सुनील वर्मा के कमरे से मिले रिवाल्वर और सुइसाइड नोट को कब्जे में ले लिया है। सुइसाइड नोट में वर्मा ने लिखा है कि उन्होंने सही काम कराया था। इसके बावजूद उन पर सीबीआई का शिकंजा कस रहा है। सीबीआई की छापेमारी और पूछताछ से आहत होकर उन्होंने खुदकुशी की है। उनके परिवार वालों को परेशान न किया जाए। पहली एफआईआर में वर्मा भी आरोपी पुलिस के मुताबिक एनआरएचएम घोटाले की पहली एफआईआर में वर्मा भी आरोपी थे। सीबीआई की टीम ने चार जनवरी को उनके घर पर तलाशी के साथ ही उनसे पूछताछ की थी। इसी घबराहट में उसकी तबीयत खराब हो गई और तीन दिन बाद रक्तचाप कम होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। एक सप्ताह तक चले इलाज के बाद डॉक्टरों ने छुट्टी दे दी थी। परिवार वालों का कहना है कि सोमवार सुबह वह कमरे में अकेले बैठे थे। थोड़ी देर बाद फायर की आवाज सुनाई दी। अपग्रेडेशन का काम दो फर्मों को दिया गया प्रदेश के 134 जिला अस्पतालों के अपग्रेडेशन के ठेके में जो मनमानी हुई, उसकी जांच में सुनील वर्मा भी फंसे थे। इन अस्पतालों के अपग्रेडेशन का काम दो फर्मों को दिया गया था। इसमें बड़ा ठेका मेसर्स सर्जिकॉन को दिया गया था। कुल 13.4 करोड़ के इस ठेके में 5.46 करोड़ का घपला सामने आया है। बड़े पैमाने पर हुए घपले में सीबीआई ने पहली बार दो जनवरी को पूर्व मंत्री बाबूसिंह कुशवाहा समेत अन्य के खिलाफ पांच मुकदमे दर्ज किए थे। कुछ दस्तावेजों पर दस्तखत भी कराए इसी सिलसिले में जब सीबीआई ने चार जनवरी को उत्तर प्रदेश समेत अन्य प्रांतों में साठ से अधिक जगहों पर एक साथ छापेमारी की थी तब वर्मा के यहां भी पड़ताल की गई थी। जानकार बताते हैं कि सीबीआई ने छापा मारने के बाद वर्र्मा से कुछ दस्तावेजों पर दस्तखत भी कराए थे। इसके बाद से ही वह डिप्रेशन में थे। वर्मा की खुदकुशी के बाद एनआरएचएम घोटाले में मृतकों की संख्या चार हो गई है और एक आरोपी जान देने का प्रयास कर चुका है। वह सीबीआई की पूछताछ से घबराया करोड़ों के घोटाले के चलते परिवार कल्याण विभाग के सीएमओ डॉ. वीपी सिंह व डॉ विनोद आर्य की हत्या फिर घोटाले के आरोपी डिप्टी सीएमओ डॉ वाईएस सचान की जेल में रहस्यमय हालात में हत्या और अब सुनील वर्मा ने खुद को गोली से उड़ा लिया है। इसके अलावा घोटाले का एक और आरोपी नमित टंडन पिछले दिनों ट्रेन के आगे कूदकर खुदकुशी का प्रयास कर चुका है। वह सीबीआई की पूछताछ से घबराया था। सीबीआई ने मांगा मौत का ब्योरा अभियंता सुनील वर्मा द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामले में सीबीआई ने लखनऊ के डीआईजी से विस्तृत ब्योरा मांगा है। वर्मा को घोटाले में महत्वपूर्ण जानकारी रखने वाली एक अहम कड़ी माना जा रहा था। वर्मा पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और घोटाले से जुड़े अन्य बड़े लोगों के बीच की एक महत्वपूर्ण कड़ी थे। उससे पूछताछ में पांच हजार करोड़ से अधिक बड़े इस घोटाले के कई राज का पर्दाफाश होने की संभावना थी। अब तक चार की जान गई विनोद आर्य, सीएमओ बीपी सिंह, सीएमओ वाईएस सचान, डिप्टी सीएमओ सुनील वर्मा, प्रोजेक्ट मैनेजर दो मंत्रियों की छुट्टी बाबू सिंह कुशवाहा अनंत कुमार मिश्र क्या थे आरोप उत्तर प्रदेश में 13.4 करोड़ रुपये की लागत से 134 अस्पतालों के अपग्रेडेशन में हुए घोटाले से संबंधित एफआईआर में वर्मा का नाम था। सीबीआई के मुताबिक फर्जी दस्तावेज के आधार पर गाजियाबाद की एक फर्म को ठेका दिया गया था और इससे सरकारी खजाने को 5.46 करोड़ का नुकसान हुआ। चार जनवरी को वर्मा के ठिकाने पर छापे मारे गए थे। क्या लिखा सुइसाइड नोट में वर्मा ने लिखा है कि मैंने कोई गलती नहीं की। लेकिन जिस तरह से सीबीआई ने मेरे आवास पर छापेमारी की है उससे मैं दुखी हूं। इसी वजह से मैं अपनी जान दे रहा हूं। सीबीआई ने क्या कहा न तो वर्मा से कोई पूछताछ की गई है और न ही उनसे पूछताछ के लिए सीबीआई के समक्ष पेश होने को कहा गया था। यह सब राजनीतिक साजिश है। एनआरएचएम स्वतंत्र निकाय है। अगर उसमें कुछ गलत हो रहा था तो केंद्र सरकार पैसे क्यों भेज रही थी। इस मामले में केंद्र के अधिकारी ही असली दोषी हैं। मायावती सीबीआई ने छोटे गुनहगारों के खिलाफ ही कार्रवाई की है। बडे़ सूत्रधार के खिलाफ कुछ नहीं किया गया है। यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि बडे़ सूत्रधारों को कौन बचा रहा है। रविशंकर प्रसाद, भाजपा नेता ....................................................................... एनआरएचएम घोटाला: दिल्ली में रची गई थी साजिशJan 23, 10:52 pm नई दिल्ली [नीलू रंजन]। उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन [एनआरएचएम] में हजारों करोड़ रुपये के घोटाले की साजिश नई दिल्ली स्थित उत्तर प्रदेश भवन में रची गई थी। राज्य के अधिकारी और सप्लायर दोनों ही यूपी भवन में बैठकर रिश्वत के लिए लेन-देन तय करते थे। अब सीबीआइ अधिकारी यूपी भवन में पिछले पांच साल के दौरान रुकने वाले अधिकारियों और उनसे मिलने वालों का पता लगाने में जुटी है। इसके लिए यूपी भवन की व्यवस्था से जुड़े अधिकारियों से भी पूछताछ की जा रही है। सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यूपी भवन के पिछले पांच साल के विजिटर रजिस्टर [आगंतुक पुस्तिका] जांच एजेंसी ने अपने कब्जे में ले लीं हैं। इसके सहारे यह पता लगाया जा रहा है कि इन सालों में उत्तार प्रदेश का कौन-कौन अधिकारी यूपी भवन में आकर ठहरा था और उनसे मिलने के लिए कौन-कौन से लोग आते थे। आगंतुक रजिस्टर में विस्तृत विवरण दर्ज किया जाता है। इसमें आगंतुक के नाम पते के साथ यह भी दर्ज होता है कि वह कितनी देर तक भवन में रुका। जाहिर है घोटाले की साजिश का पर्दाफाश करने में आगंतुक रजिस्टर अहम कड़ी साबित हो सकता है। आगंतुक रजिस्टर को कब्जे में लेने के साथ ही सीबीआइ ने सोमवार को यूपी भवन के पांच कर्मचारियों को पूछताछ के लिए तलब किया है। इनमें यूपी भवन का व्यवस्था अधिकारी संजय चौधरी, प्रबंधक गोविंद राम और रिसेप्शन पर बैठने वाले रामबहल, पारसनाथ एवं राकेश शामिल हैं। जांच से जुड़े के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन कर्मचारियों से रजिस्टर में दर्ज आगंतुकों के हुलिए और व्यवहार के बारे में पूछताछ की जा रही है। आगंतुक पुस्तिका और भवन के कर्मचारियों के बयान आरोपियों की आपसी मिलीभगत और घोटाले की साबित करने में अहम सुबूत बन सकते हैं। बिना अनुमति के कई बार विदेश गए प्रदीप शुक्लाJan 22, 11:10 pm लखनऊ [आनन्द राय]। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन [एनआरएचएम] घोटाले से सुर्खियों में आए परिवार कल्याण विभाग के पूर्व प्रमुख सचिव प्रदीप शुक्ला बिना सरकारी अनुमति के एक दर्जन से अधिक बार विदेश यात्रा कर चुके हैं। यह जानकारी मिलने के बाद सीबीआइ का अनुमान है कि शुक्ला ने विदेश यात्रा केदौरान लगभग पचास लाख रुपये खर्च किए। ऐसे में सीबीआइ को हैरानी हो रही है कि उनके खिलाफ सरकार ने कार्रवाई क्यों नहीं की। प्रावधान के मुताबिक नियुक्ति विभाग से बिना अनुमति के विदेश जाने वाले आइएएस अधिकारियों के खिलाफ सरकार कार्रवाई करती है। प्रदीप शुक्ला तो एक-दो नहीं दर्जन बार बिना अनुमति के विदेश भ्रमण पर गए। सीबीआइ उन कारणों को तलाश रही है, जिनके चलते शुक्ला के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। अभी तक उनसे जांच एजेंसी ने पूछताछ नहीं की है। लेकिन शायद इस बात से अवगत हो चुकी है कि शुक्ला ने किस तरह राजधानी के एक एजेंट के जरिए टिकट मंगवाए और उनका खर्च वहन करने में किन लोगों ने अहम भूमिका निभाई। सूत्रों की मानें तो प्रदीप शुक्ला ने पिछले तीन वर्षो में एक दर्जन से अधिक बार अमेरिका, यूरोप और सिंगापुर की यात्रा की। उन्होंने विदेश यात्रा के दौरान हवाई टिकट पर 33 लाख रुपये, घरेलू उड़ान पर 12 लाख रुपये और होटल व अन्य मदों में पांच लाख रुपये खर्च किए। ऐसे में सीबीआइ उस एजेंट से भी पूछताछ करने की तैयारी कर रही है, जिन्होंने प्रदीप शुक्ला को विदेश जाने के लिए टिकट मुहैया कराए। सीबीआइ को पता है कि टिकट का खर्च वहन करने में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कुछ ठेकेदार सीधे प्रदीप शुक्ला को नकद रकम मुहैया कराते थे। ऐसी स्थिति में प्रदीप शुक्ल के उपलब्ध न होने की वजह से अभी तक उनका पक्ष नहीं जाना जा सका है। |
इनका क्या कसूर है ?
इनका क्या कसूर है जब ये सत्ता के सिपाही हैं तो चुनाव आयोग को पहले ही इन्हें हटा देना था.
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सोमवार, 23 जनवरी 2012
यह भारत है -
भारत आने से रोकने को रची गई साजिश
Jan 22, 10:15 am
न्यूयार्क। महाराष्ट्र पुलिस द्वारा सलमान रुश्दी की जान को खतरा होने की खुफिया जानकारी से इंकार किए जाने के बाद लेखक ने नाराजगी व्यक्त की है। भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक रुश्दी ने कहा कि राजस्थान पुलिस ने उनसे झूठ बोला। यह उन्हें भारत आने से रोकने के लिए सोची-समझी साजिश थी।
विवादास्पद लेखक ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लिखा,'राजस्थान पुलिस ने मुझे महोत्सव से दूर रखने की साजिश रची। मैंने इसकी जांच की है। मुझे विश्वास है कि मुझसे झूठ बोला गया है। मैं बहुत गुस्से में हूं।' रुश्दी ने शुक्रवार को भारत दौरा रद करते हुए बयान जारी किया था कि उनकी जान को अंडरवर्ल्ड से खतरा है। प्रतिबंधित किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' में इस्लाम विरोधी बातें लिखे जाने को लेकर मुस्लिमों में भारी रोष है। कई धार्मिक संगठनों ने उनके दौरे का विरोध किया था। विरोध के चलते स्थानीय प्रशासन, राजस्थान सरकार व आयोजक काफी परेशान थे। जयपुर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने शनिवार को कहा था कि रुश्दी को केवल कट्टरपंथियों से खतरा है, अंडरवर्ल्ड से नहीं।
अपने ट्वीट पर एक टिप्पणी के जवाब में रुश्दी ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि किसके निर्देश पर राजस्थान पुलिस ने यह झूठी खुफिया जानकारी दी। उनसे ट्विटर पर पूछा गया कि क्या यह वही पुलिस है जो उनकी प्रतिबंधित पुस्तक के कुछ अंश साहित्य महोत्सव में पढ़ने पर कुछ लेखकों को गिरफ्तार करना चाहती है। उन्होंने कहा, 'मेरा अनुमान है कि हरी कुंजरू, अमिताव, जीत थायिल और रुचिर जोशी जैसे लेखकों को पकड़ने वाली पुलिस ने ही ऐसा किया होगा। यह घृणित कार्य है।' इन लेखकों ने रुश्दी का नाम आयोजन से हटाए जाने के बाद 1988 में आई सैटेनिक वर्सेज के कुछ अंश पढ़े थे। रुश्दी ने ट्विटर पर एक समाचार का लिंक भी पोस्ट किया है, जिसमें कहा गया है कि राजस्थान के स्थानीय खुफिया अधिकारियों ने रुश्दी पर हमले की गलत सूचना गढ़ी ताकि लेखक को भारत आने से रोका जा सके।
रुश्दी के आरोप गलत: गहलोत
जयपुर। लेखक सलमान रुश्दी द्वारा राजस्थान पुलिस पर लगाए गए आरोपों को राज्य सरकार ने खारिज कर दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि यह सही नहीं है। उनके सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए थे, क्योंकि यह सरकार की ड्यूटी थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रुश्दी भारत आने के लिए स्वतंत्र हैं। वहीं राजस्थान सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि रुश्दी की हत्या की सूचना इंटेलीजेंस ब्यूरो से मिली थी। जिसपर जयपुर साहित्य महोत्सव के आयोजकों ने रुश्दी को जयपुर न आने के लिए कहा था।
पुलिस में शिकायत दर्ज कराई
जयपुर। सलमान रुश्दी के भारत दौरा रद करने के बाद महोत्सव में प्रतिबंधित किताब 'द सैटेनिक वर्सेज' के अंश पढ़ने वाले चार लेखकों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी गई है। शिकायत जयपुर के अशोक नगर थाने में दर्ज कराई गई है, जिसमें अमिताव कुमार, हरि कुंजरू, रुचिर जोशी व जीत तायल पर आरोप लगाया है कि चारों ने जान बूझकर किताब के अंश पढ़े, जो आपराधिक कृत्य है, क्योंकि पुस्तक भारत में प्रतिबंधित है। शिकायत में दोषियों के खिलाफ आपराधिक धाराओं में मामला दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है। बताया गया है चारो लेखक महोत्सव छोड़कर चले गए हैं। महोत्सव आयोजकों ने कार्यक्रम में शामिल होने आए लेखकों को रविवार को चेताया कि अगर आयोजन के दौरान 'द सैटेनिक वर्सेज' के अंश पढ़े तो उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। गिरफ्तारी भी हो सकती है। आयोजन की सह निदेशक नमिता गोखले की ओर से कार्यक्रम में शामिल हो रहे सभी लेखकों को ई-मेल भेजा गया है। इस पर लेखकों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
'द सैटेनिक वर्सेज' से प्रतिबंध हटे
जयपुर। लेखकों व कलाकारों के एक समूह ने 'द सैटेनिक वर्सेज' से प्रतिबंध हटाने की मांग की है। इसके लिए लेखकों व कलाकारों की अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के समर्थन में मांग पत्र पेश किया। जयपुर साहित्य महोत्सव आयोजन समिति से जुड़े विलियम डेलरैम्पिल को प्रस्तुत किए गए इस मांग पत्र में सरकार से आग्रह किया गया है कि द सैटेनिक वर्सेज पर पिछले 23 सालों से जारी प्रतिबंध पर पुनर्विचार करे। साथ ही कहा गया है कि इस किताब ने कहीं हिंसा को नहीं उकसाया है, बल्कि दूसरे लोगों ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए हिंसा भड़काने में इस उपन्यास का इस्तेमाल किया है।
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