शनिवार, 27 अगस्त 2011

माया पलटीं, कहा जनलोकपाल के साथ नहीं

(अमर उजाला से साभार)

माया पलटीं, कहा जनलोकपाल के साथ नहीं

लखनऊ।
Story Update : Saturday, August 27, 2011    12:28 AM
अन्ना के आंदोलन का समर्थन करने का ऐलान कर चुकीं बसपा सुप्रीमो और मुख्यमंत्री मायावती शुक्रवार को पलट गईं। शुक्रवार को आननफानन बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने साफ कि या कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ तो हैं पर अन्ना के जन लोकपाल बिल के साथ नहीं। पूरे मामले पर तीखे तेवर अपनाते हुए उन्होंने अन्ना हजारे को अगला लोकसभा चुनाव लड़ अपनी मर्जी का लोकपाल बिल पास कराने की सलाह दे दी।

केवल बड़े अफसरों को ही शामिल करना चाहिए
शुक्रवार को मायावती ने केंद्र सरकार से कहा है कि लोकपाल संस्था में अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यकों को डॉ. अंबेडकर की मंशा के अनुरूप प्रतिनिधित्व दे। यही नहीं बिल की मसौदा कमेटी में भी दलितों और सभी धर्मों के लोगों को प्रतिनिधित्व देने का मसला उन्होंने उठाया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि इसके बिना वह संसद में लाए गए लोकपाल बिल को समर्थन नहीं देगी। उन्होंने कहा कि नया लोकपाल बिल संविधान के दायरे में ही बनना चाहिए और लोकपाल संस्था के दायरे में इसमें केवल बड़े अफसरों को ही शामिल करना चाहिए।

अन्ना का अनशन खत्म कराया जाना चाहिए
यही नहीं मायावती ने केंद्र सरकार को आगाह किया है कि कुछ जातिवादी और सांप्रदायिक ताकतें देश के संविधान को बदलने की कोशिश में अंदर ही अंदर कुछ कर रही हैं। मायावती ने कहा कि अन्ना हजारे की टीम को चाहिए कि वह अब आंदोलन करने के बजाए 2014 के लोकसभा चुनाव में उतरें और अपनी सरकार बना कर अपनी मर्जी का लोकपाल बिल पास कराएं। मायावती ने कहा अन्ना हजारे के आंदोलन की आड़ में एनडीए व यूपीए बीच जो चूहे-बिल्ली का खेल चल रहा है वह अब बंद होना चाहिए और अन्ना का अनशन खत्म कराया जाना चाहिए।

जनलोकपाल बिल पर जाहिर की राय
मायावती ने कहा कि लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री और न्यायपालिका का लाने का सवाल है तो जो निर्णय आम सहमति से होगा बसपा उसका समर्थन करेगी। मायावती ने कहा लोकपाल बिल में संपूर्ण सरकारी तंत्र को लाने की बात है तो उच्च पदों पर बैठे लोगों को ही इसके दायरे में लाया जाना ठीक है। ऊंचे पदों पर बैठे लोग यदि भ्रष्टाचार से मुक्त होंगे तो वे निचले स्तर पर पर भ्रष्टाचार पर रोक लगा सकेंगे, जहां तक राज्यों में लोकायुक्त बनाने की बात है तो यह राज्यों का अधिकार है। यूपी में लोकायुक्त संस्था काफी प्रभावी है और उसकी सिफारिशों पर सरकार ने अमल भी किया है। लोकपाल बिल में सिटीजन चार्टर की बात कही गई है प्रदेश सरकार ने तो पहले से ही जनहित गारंटी अधिनियम के जरिए इसे लागू किया जा चुका है।

अन्ना के आंदोलन पर चिंता
मायावती ने कहा कि अन्ना के आंदोलन के दौरान रामलीला मैदान में कुछ असामाजिक तत्वों की उपस्थिति पाई गई है, गृह मंत्रालय उस पर सख्ती से निपटे। उत्तर प्रदेश में अन्ना समर्थक अभी तक शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं पर उनको वह एडवांस में आगाह करती हैं। यदि उन्होंने कानून हाथ में लिया तो फिर उन सख्त क ार्रवाई की जाएगी।
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मायावती ने की अन्ना की तरफदारी

लखनऊ।
Story Update : Wednesday, August 17, 2011    4:49 PM
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने भ्रष्टाचार के खिलाफ समाजसेवी अन्ना हजारे के आन्दोलन को पूरा समर्थन देते हुए केन्द्र सरकार और सिविल सोसायटी को आम सहमति बनाने का सुझाव दिया है ताकि एक बेहतरीन कानून बनाया जा सके।

मायावती ने कहा कि वह खुद और बहुजन समाज पार्टी शुरू से ही भ्रष्टाचार और राजनीति में अपराधीकरण के खिलाफ रही है। उन्होंने कहा कि वह और उनकी पार्टी अन्ना के भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन का समर्थन करती है। केन्द्र सरकार की ओर से संसद में पेश लोकपाल विधेयक को लेकर उत्पन्न मतभेद को दूर करने के लिए दोनों पक्षों को मिलकर आपसी सहमति बनानी चाहिए ताकि एक बेहतरीन कानून बने और भ्रष्टाचार को रोका जा सके।

उन्होंने अन्ना की गिरफ्तारी की निंदा की और कहा कि उन्हें जिस तरह पुलिस ने गिरफ्तार किया वह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। बसपा सिर्फ अन्ना ही नहीं बल्कि उन सभी संगठनों का स्वागत करती है और अपना समर्थन देती है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। मायावती ने कहा कि बसपा ने भ्रष्टाचार के खिलाफ चलने वाले हर मुहिम का समर्थन किया है। पार्टी के प्रमुख नारों में यह शामिल रहा है।

उन्होंने कहा कि पार्टी शुरू से ही मुख्य रूप से भ्रष्टाचारमुक्त, अन्यायमुक्त और विकासयुक्त आधार पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि 2007 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का यह मुख्य नारा था। उनका कहना था कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के हमेशा खिलाफ रही है। भ्रष्टाचारियों से कभी कोई समझौता नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और अपराधीकरण के मामले में पार्टी के सांसदों, मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। मायावती ने कुछ महीने पहले अन्ना को सुझाव दिया था कि वह जनता के बीच जाएं और अपील करें कि लोकसभा के चुनाव में उनके जन लोकपाल विधेयक को समर्थन देने वाले प्रत्याशियों को जिताएं।
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अन्ना ने मायावती से मिलने का मांगा समय

लखनऊ।
Story Update : Saturday, July 02, 2011    12:29 PM
प्रख्यात समाजसेवी अन्ना हजारे ने जन लोकपाल विधेयक पर बातचीत के लिए उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती से मिलने का समय मांगा है। मायावती से मिलकर अन्ना हजारे जन लोकपाल विधेयक पर आम सहमति बनाने के लिए बातचीत करना चाहते हैं। हालांकि मुख्यमंत्री ने उन्हें अभी मिलने का समय दिया है या नहीं इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है।

बिल का मौजूदा स्वरूप में पारित होना मुश्किल
सूत्रों के मुताबिक हजारे ‌रविवार सुबह तक मायावती से मिलना चाहते हैं, क्योंकि इस मुद्दे पर 3 जुलाई को केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है। जन लोकपाल विधेयक पर मायावती अपना मत पहले ही स्पष्ट कर चुकी हैं। हाल ही में बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा था कि केंद्र की वर्तमान सरकार के कार्यकाल में हजारे के मन मुताबिक लोकपाल विधेयक पारित होना नामुमकिन है।

सांसदों को जितवाने का प्रयास करें
इसलिए हजारे के नेतृत्व वाली सिविल सोसायटी को इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाना चाहिए। 2014 में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव में ऐसे सांसदों को जितवाने का प्रयास करना चाहिए जो जन लोकपाल विधेयक के समर्थक हों और इसे संसद में पारित करवा सकें।

अन्य दलों के नेताओं से भी मिले
हजारे इस मसले पर भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से मिल चुके हैं और आज उनका कार्यक्रम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने का है।

बुधवार, 24 अगस्त 2011

भ्रष्टाचार के महानायक-अमर सिंह के ख़िलाफ़ चार्ज़शीट !

क्या सचमुच 'अमर सिंह' पर मुक़दमा चलेगा !
डॉ.लाल रत्नाकर 
(नीचे की बी बी सी की खबर से यही लगता है की)  



कभी समाजवादी पार्टी में रहे अमर सिंह ने अब अपनी नई पार्टी बनाई है.
संसद में रिश्वत लेकर वोट देने के मामले में राजनीतिज्ञ अमर सिंह के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाखिल की गई है.
अमर सिंह पूर्व में समाजवादी पार्टी से जुड़े रहे हैं लेकिन अब उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली है. उनके ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आरोप तय किए गए हैं.
यह मामला 2008 का है जब बीजेपी के कुछ सांसद संसद में वोटिंग के दौरान सूटकेसों में पैसा भरकर ले गए थे और उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्हें सरकार के हक में वोट देने के लिए पैसा दिया गया गया था.
इन सांसदों में से एक अशोक अर्गल के ख़िलाफ़ मामला चलेगा जबकि बाकी दोनों सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोड़ा पर पहले ही घूस लेने का मामला चल रहा है.
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के तत्कालीन सलाहकार सुधींद्र कुलकर्णी पर भी आरोप है कि उन्होंने इस पूरे अभियान की योजना बनाई ताकि यूपीए सरकार की रिश्वत देने की मंशा का पर्दाफाश किया जा सके.
कुलकर्णी पर भी आपराधिक मामला चल सकता है जिसमें रिश्वत का प्रस्ताव देने का आरोप लगाया जा सकता है.
सन् 2008 में परमाणु सौदे के मुद्दे पर वोटिंग हुई थी. यूपीए सरकार को वोटिंग में बहुमत मिला लेकिन रिश्वत देकर वोट खरीदने का मामला बहुत विवादित रहा.
बीजेपी का कहना है कि यूपीए ने तीन भाजपा सांसदों अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोड़ा को रिश्वत की पेशकश की गई थी और वो यही पैसा लेकर संसद में पहुंचे थे ताकि वो अपनी बात संसद के सामने रख सकें.
इस मामले में एक टीवी चैनल की निष्पक्षता भी संदेह के घेरे में आई थी जिसके साथ मिलकर रिश्वत के लेन देन की प्रक्रिया का एक स्टिंग आपरेशन भी किया गया था.
बाद में बीजेपी सांसद कुलस्ते और भगोड़ा पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया और आरोपपत्र दायर किया गया जबकि पुलिस ने अर्गल के ख़िलाफ़ आरोपपत्र दायर करने के लिए लोकसभा स्पीकर से अनुमति मांगी है क्योंकि अर्गल अभी भी सांसद हैं.