शनिवार, 21 अप्रैल 2012

दादागीरी


सपा विधायक ने दिखाई दादागीरी तो दर्ज हो गई एफआईआर

 
Source: भास्कर न्यूज   |   Last Updated 09:31(20/04/12)
 
 
 
 
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लखनऊ। उप्र में बदायूं जिले की सदर सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक आबिद रजा खान सत्ता की धमक से दूसरे की जमीन हड़पने में लग गए हैं। उनके खिलाफ मारपीट करने, संपत्ति एक रिश्तेदार के नाम करने के लिए दबाव बनाने व धमकाने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई है। विधायक के खिलाफ दस आपराधिक मामले पहले से दर्ज हैं। इनमें हत्या की कोशिश के तीन मामले हैं। विपक्षी भाजपा ने सपा की निंदा की है।

विधायक की प्रताडऩा के शिकार हुए महेश प्रकाश ने सपा एमएलए के खिलाफ दी गई तहरीर में आरोप लगाया है कि बुधवार की शाम विधायक ने अपने दफ्तर बुलाकर अपनी जमीन उनके एक समर्थक के नाम करने को कहा। महेश के मना करने पर विधायक के साथियों मनोज, राजेन्द्र तथा रिजवान ने उसे बहुत पीटा। महेश बरेली के बहेड़ी का रहने वाला है।

विधायक की नजर उसकी दो एकड़ जमीन पर है, जिसे वह अपने एक रिश्तेदार के नाम दर्ज करने के लिए काफी दिन से दबाव डाल रहा है। महेश ने एसपी रतन कुमार श्रीवास्तव से विधायक की शिकायत की। एसपी ने घटना की जांच तथा दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए। मेडिकल परीक्षण में महेश को पीटे जाने की पुष्टि हुई है। आरोपी विधायक और उनके समर्थकों का दावा है कि यह मामला उनकी छवि को खराब करने की कोशिश है।

सपा की सरकार बनने के बाद से पार्टी को अपने समर्थकों व विधायकों पर काबू पाने में मुश्किल हो रहा है। पार्टी ने इसके लिए अपील भी जारी की है। 10 मार्च को इटावा में सपा कार्यकर्ताओं ने पूर्व सांसद के घर धावा बोला था। उसी दिन मुरादाबाद में सपा विधायक के समर्थकों ने दरोगा से मारपीट की।

अगले दिन 11 मार्च को बिसौली से विधायक की कार से सिपाही कुचला गया। 16 मार्च को राजधानी लखनऊ के कैसरबागमें सत्ताधारी दल के विधायक के गुर्गों ने सिपाही को दौड़ाकर पीटा। 2 अप्रैल को मेजा में थाने के भीतर पुलिस व सपा समर्थकों में मारपीट हुई।

4 अप्रैल को राजधानी लखनऊ में सपा विधायक को हजरतगंज इलाके में नो पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने से रोका तो उन्होंने पुलिस के साथ बदसलूकी की। दो दिन पूर्व 17 अप्रैल बरेली में सपा जिलाध्यक्ष के दामाद ने पुलिस पर अंधाधुंध फायर झोंककर कानून व्यवस्था को चुनौती दी।

सपा विधायक द्वारा देवरिया रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर घुड़सवारी की घटना को जनता भूली नहीं है। भाजपा ने सपा अध्यक्ष से प्रदेश में अराजक और बेकाबू हो रहे सपाईयों पर लगाम लगाने की मांग की है।

प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि प्रदेश में जिस तरह समाजवादी पार्टी के माननीय और कार्यकर्ता कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बनकर खड़े हो रहे हैं, वह चिंता का विषय है। पाठक ने बंदायू में सपा विधायक आबिद रजा की महेश प्रकाश की पिटाई करने के मामले में कहा कि यह गलत है।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के संसदीय क्षेत्र कन्नौज में पकड़ की घटनाएं बढ़ी हैं। भाजपा के लोग लगातार यह प्रकरण मुख्यमंत्री के संज्ञान में ला रहे हैं। बदायूं में उनके छोटे भाई धर्मेन्द्र सांसद हैं। वहां के विधायक द्वारा इस तरह की घटना को अंजाम देना सरकार के कानून व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त होने के दावे को चुनौती देना है।

शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

'इज्जत बचाऊं या नौकरी,


'इज्जत बचाऊं या नौकरी, जहां जाती हूं वहां रखी जाती है शर्त...?'

 
Source: भीमसिंह मीणा   |   Last Updated 05:00(20/04/12)
 
 
 
 
भोपाल। केंद्र सरकार ने महिलाओं को यौन उत्पीड़न जैसे मामलों से छुटकारा दिलाने के लिए जो कानून बनाया है, उसकी केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड के भोपाल ऑफिस में ही धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यहां काम करने वाली कनिष्ठ श्रेणी लिपिक भारती (पीड़िता के अनुरोध पर नाम परिवर्तित) ने आरोप लगाया है कि उनके रीजनल डायरेक्टर आरएस माथुर और तत्कालीन यूडीसी चंद्रशेखर कदम ने पहले उनके ऊपर यौनाचार के लिए दवाब डाला और जब विरोध किया तो मानसिक प्रताड़ना देने लगे।

भारती ने इस पूरे मामले की शिकायत केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड के निदेशक अरविंद कुमार दर्वे को की, तो उन्होंने लिखित में शिकायत न करने की सलाह देते हुए जांच और कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। इसके बाद जांच भी की गई, लेकिन भारती को इंसाफ के बजाय नौकरी से निकाले जाने की धमकियां मिलने लगीं। इसके बाद जब भारती ने बोर्ड के अध्यक्ष अशोक सिंह को लिखित शिकायत की तो उचित कार्रवाई करने के बजाय मेमोरेंडम थमा दिया गया। इसमें तीन दिन के भीतर भारती से जवाब मांगा गया कि उन्होंने उच्च अधिकारी से सीधे पत्राचार कैसे कर लिया? सरकारी प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया?

आखिर कौन करेगा भारती का इंसाफ

भारती के अनुसार वे बोर्ड के भोपाल जोनल ऑफिस में लिपिक के पद पर कार्य करती हैं। भारती को 28 अक्टूबर 2011 को दोपहर में रीजनल डायरेक्टर आरएस माथुर ने कॉल करके तत्काल ऑफिस आने को कहा। जब भारती ने कहा कि वो ऐच्छिक अवकाश पर है तो माथुर ने कहा कि अगर आज ऑफिस नहीं आईं तो नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। आखिर भारती ऑफिस पहुंची तो वहां आरएस माथुर के साथ तत्कालीन यूडीसी चंद्रशेखर भी मौजूद थे।

दोनों ने भारती से कहा कि उसके खिलाफ मिनिस्ट्री से कोई गोपनीय पत्र आया है और तुम्हें तत्काल नौकरी से निकाले जाने के आदेश हैं। जब भारती ने वह गोपनीय पत्र मांगा तो दोनों ने ही दिखाने से मना कर दिया। सवाल यह है कि आरएस माथुर रीजनल के हेड हैं, जबकि भारती जोनल ऑफिस में पदस्थ हैं। भारती के अधिकारी नागपुर में बैठते थे। इसलिए माथुर को भारती से सवाल करने का कोई अधिकार नहीं था। यदि पूछताछ करना भी थी तो फिर भारती को उनके खिलाफ आया गोपनीय पत्र क्यों नहीं दिखाया गया। डीबी स्टार ने भी वह पत्र मांगा, लेकिन नहीं दिखाया गया।

जांच की तो प्रतिवेदन क्यों नहीं बनाया

घटना के तत्काल बाद भारती ने नागपुर मुख्यालय के डायरेक्टर अरविंद कुमार दर्वे को मोबाइल पर पूरी जानकारी दी तो उन्होंने जांच का आश्वासन देकर लिखित शिकायत करने से मना कर दिया। इसके बाद जांच करने दर्वे 20 नवंबर 2011 को भोपाल आए। यहां उन्होंने ऑफिस में काम करने वाले चारों शिक्षा अधिकारी और क्षेत्रीय निदेशक समेत अलग-अलग लोगों से बात की।

जांच पड़ताल के बाद आरएस माथुर ने अपनी गलती मानी और माफी मांगी। (डीबी स्टार के पास मोबाइल की रिकॉर्डिग मौजूद)। ऐसे में यह तो साफ हो ही जाता है कि आरएस माथुर और चंद्रशेखर कदम ने मिलकर भारती को मानसिक प्रताड़ना दी। लेकिन अरविंद कुमार दर्वे ने भी भारती से मामला खत्म करने को कहा।

सवाल यह है जब यह बात साबित हो गई थी तो फिर आरएस माथुर और चंद्रशेखर को कारण बताओ नोटिस क्यों जारी नहीं किया? अरविंद कुमार दर्वे ने क्यों लिखित शिकायत करने से इंकार किया?

बिना जांच मेमोरेंडम क्यों भेजा गया?

भारती ने 4 अप्रैल 2012 को केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष अशोक सिंह को लिखित शिकायत की। लेकिन इसका उल्टा असर हुआ। भारती को मेमोरेंडम भेजा गया। इसमें मुख्य रूप से अन्य अधिकारियों को छोड़ सीधे-सीधे वरिष्ठ अधिकारी को शिकायत करने पर एतराज जताया गया। ऐसे आठ बिंदुओं का जवाब मांगा गया। भारती ने भी बिना देरी किए सभी बिंदुओं के जवाब लिखकर 12 अप्रैल 2012 को एक पत्र बी.वी. रमेश बाबू सहायक निदेशक केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड नागपुर के नाम भेज दिए हैं। इसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि उन्होंने सीधे शिकायत क्यों की?

सवाल यह है कि शिकायत के बावजूद जब डायरेक्टर स्तर पर भारती पक्षपात की शिकार हो रही थी तो वह अध्यक्ष के अलावा किसको शिकायत करती? अधिकारियों ने बिना उसका पक्ष जाने आखिर किस आधार पर नोटिस जारी किया। जबकि किसी भी शिकायत के बाद पहले उसकी जांच कराई जाती है और फिर कार्रवाई की जाती है।

आरोपी को जांच के अधिकार कैसे मिले?

नागपुर कोतवाली में 11 अप्रैल 2012 को नागपुर श्रमिक शिक्षा बोर्ड कार्यालय की एक वरिष्ठ लिपिक महिला ने शिकायत दर्ज कराई। उक्त महिला ने जिन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, उनमें बोर्ड के निदेशक अरविंद कुमार दर्वे भी शामिल हैं। इन सभी पर महिला ने मानसिक प्रताड़ना और यौनाचार के लिए दबाव डालने के आरोप लगाए हैं।

सवाल यह है कि जब अरविंद कुमार दर्वे खुद आरोपों के घेरे में हैं तो भारती की जांच उन्हें किस आधार पर सौंपी गई? आखिर दिल्ली स्थित केंद्रीय श्रमिक बोर्ड से क्यों जांच नहीं कराई जाती?

मोबाइल पर किए भारती को मैसेज

भारती के मोबाइल पर चंद्रशेखर कदम ने इस तरह मैसेज भी किए, लेकिन न तो ये जांच अधिकारियों ने देखे और न ही आला अफसरों ने।

2011 में तो हद हो गई

बोर्ड में 3 साल हो गए हैं। शुरूआत से छेड़छाड़ होती रही, लेकिन अक्टूबर 2011 में हद हो गई। शिकायत की पर इंसाफ नहीं मिला। अब मैं किसके पास गुहार लगाऊं? जहां जाती हूं अधिकारी अपनी शर्त रखने लगते हैं। - भारती (परिवर्तित नाम), पीड़िता, लिपिक केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड जोनल ऑफिस, भोपाल

चंद्रशेखर ने नहीं रखा पक्ष

इंदौर बोर्ड ऑफिस के सीनियर क्लर्क चंद्रशेखर कदम से डीबी स्टार टीम बात करने उनके दफ्तर पहुंची तो बताया गया कि वे मेडिकल लीव पर हैं। तब इनके मोबाइल पर दो दिन तक संपर्क किया। घंटी जाती रही, लेकिन जवाब नहीं आया। एसएमएस किया फिर भी कोई जवाब नहीं आया।

ये आरोप सरासर झूठे हैं

ये आरोप सरासर झूठे हैं। दरअसल उस महिला के खिलाफ एक शिकायत मेरे पास आई थी। जिसकी जांच करने के लिए मैंने उन्हें बुलाया था। शिकायत मेरे पास आई थी तो मैंने जांच शुरू कर दी। इस बारे में मैंने दर्वे साहब को भी बता दिया था। आप उनसे बात कर लीजिए। - आर.एस. माथुर रीजनल डायरेक्टर, केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड आंचलिक निदेशालय, भोपाल

खत्म हो जाएं अपराध


मुलायम चाहें तो 2 मिनट में खत्म हो जाएं अपराध: उमा

लखनऊ/अमर उजाला ब्यूरो
Story Update : Friday, April 20, 2012    12:26 AM
mulayam singh yadav akhilesh crime UP uma bharti
भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती ने समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को तुष्टीकरण और अपराधियों को संरक्षण देने से बाज आने की चेतावनी दी है।

अपराधियों पर नियंत्रण करना चुटकियों की बात
उन्होंने कहा कि बहुमत का महत्व समझते हुए दोनों नेताओं को जिम्मेदार नेता और सरकार के रूप में आचरण करना चाहिए। सपा की सरकार आने के एक महीने के भीतर जिस तरह अपराध और आपराधिक घटनाएं बढ़ी हैं, वे चिंता का विषय हैं। उन्होंने कहा कि मुलायम और अखिलेश के लिए अपराधियों और अपराधों पर नियंत्रण करना चुटकियों की बात हैं। दोनों नेता केवल अपनी पार्टी के लोगों को समझा दें तो दो मिनट में अपराध रुक जाएंगे।

अपराधों की अगुवाई कर रहा है सत्तारूढ़ दल
बृहस्पतिवार को उमा भारती विधानसभा की सदस्यता की शपथ लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रही थीं। उन्होंने कहा प्रदेश में सत्तारूढ़ दल अपराधों की अगुवाई कर रहा है। उमा के अनुसार, भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने उन्हें कुछ आवश्यक विचार-विमर्श के लिए रोक लिया था। इस कारण वह सदन में शपथ नहीं ले पाई थी। उन्होंने इन संभावनाओं को नकारा दिया कि वह यूपी की राजनीति से किनारा कर रही हैं।

यूपी में पराजय की जिम्मेदारी मेरे ऊपर
बाबू सिंह कुशवाहा और पराजय के कारणों पर उन्होंने टिप्पणी से इनकार करते हुए कहा कि वह यूपी चुनाव में पराजय की जिम्मेदारी स्वयं के ऊपर लेती हैं। इसके साथ सत्तारूढ़ दल सपा पर हमला बोलते हुए उमा भारती ने कहा कि वह मुलायम से नहीं डरती हैं। प्रदेश में सपा की सरकार बनने के बाद जिस तरह से दहशतगर्दी बढ़ रही है, वह चिंता का विषय है। स्थितियां बिगड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि मतगणना के बाद से ही बबीना में घटी घटनाओं से प्रदेश के खतरनाक भविष्य का एहसास हो गया था। बीते एक महीने में कोई दिन ऐसा नहीं है, जिस दिन कोई ऐसी घटना न घटी हो।

शाहरुख जैसा हाल न बनाएं मुसलमानों का
उमा ने मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को चेतावनी दी कि वह मुसलमानों का हाल शाहरुख जैसा न बनाएं। शाहरुख को जिस तरह अमेरिका में झेलना पड़ा, उसके पीछे मुसलमानों को लेकर दुनिया भर में बना आशंका का माहौल है। मुलायम और अखिलेश यूपी में जिस तरह तुष्टीकरण की राह पर आगे बढ़ रहे हैं, उससे उत्तर प्रदेश में भी मुसलमानों का हाल शाहरुख जैसा ही होता जा रहा है। सपा सरकार मुसलमानों और हिंदुओं के बीच भेदभाव और तनाव बढ़ाने वाले फैसले न करे, नहीं तो मुसलमानों को ही दिक्कत होगी। पढ़ाई के लिए पैसा देने में सपा सरकार को हिंदू और मुसलमानों के बीच भेद नहीं करना चाहिए। अंत में उन्होंने कहा कि सपा सरकार मुसलमानों को ही कठघरे खड़ा कर रही है।

रविवार, 15 अप्रैल 2012

राजा भैया के खिलाफ खाद्यान्न घोटाला मामले में सीबीआई शिकंजा कस सकती है।


राजा भैया पर शिकंजा कस सकती है सीबीआई

नई दिल्ली/पीयूष पांडेय
Story Update : Sunday, April 15, 2012    12:54 AM
Raja Bhaiya up case Food Scandal
उत्तर प्रदेश के जेल मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के खिलाफ खाद्यान्न घोटाला मामले में सीबीआई शिकंजा कस सकती है।

एजेंसी ने 2004 में खाद्य मंत्री रहे निर्दलीय विधायक के एक पुराने साथी और उनके तत्कालीन जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) की ओर से लगाए गए आरोपों के आधार पर जांच तेज कर दी है। एजेंसी ने दोनों को इस बाबत लखनऊ कार्यालय भी बुलाया है। शिकायत में राजा भैया पर कई करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का गंभीर आरोप लगाया गया है।

प्रतापगढ़, कुंडा से निर्दलीय विधायक राजा के पुराने साथी रहे मनोज कुमार को एजेंसी ने शनिवार को नोटिस जारी कर बयान देने के लिए बुलाया है। जबकि राजा भैया के पीआरओ रहे राजीव कुमार ने जान के खतरे की आशंका दर्शाते हुए सीबीआई से लखनऊ कार्यालय की बजाय उन्हें हेडक्वार्टर दिल्ली में अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होने की गुजारिश की है।

मनोज पर कई आपराधिक आरोप हैं। सूत्रों के अनुसार पहले वह राजा के इशारे पर ही काम करते थे। कुमार को भी एजेंसी ने गवाह के तौर पर उपस्थित होकर बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस दिया है। कुमार के अनुसार एजेंसी राजा भैया की भूमिका की जांच एक साल से कर रही है। लेकिन उसके पास अब तक कोई ठोस सुबूत नहीं था।

यही वजह थी कि राज्य में बसपा सरकार कार्यकाल के दौरान एजेंसी निर्दलीय विधायक के खिलाफ शिकंजा नहीं कस सकी। लेकिन अब ऐसा संभव हो सकता है, क्योंकि सीबीआई के पास कई ठोस सुबूत और गवाह हैं। कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में भी राजा भैया के खिलाफ आवेदन दायर किया है। इस आवेदन पर 13 अप्रैल को सुनवाई होनी थी। लेकिन एजेंसी की ओर से कोई अधिवक्ता पेश न होने पर मामला 26 अप्रैल तक के लिए टल गया।

हालांकि सीबीआई का कोई अधिवक्ता पेश न होने पर अदालत ने एजेंसी को आगाह किया था कि भविष्य में ऐसी हरकत नहीं होनी चाहिए। क्योंकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में अनियमितता से जुड़ा यह घोटाला बहुत गंभीर मामला है। आवेदन में कुमार ने आरोप लगाया है कि 2004 में जब राजा भैया खाद्य मंत्री थे, तब उन्होंने पीडीएस के राशन की कालाबाजारी से मिले करोड़ों रुपये को कई प्रोजेक्टों में लगाया था।

इन तमाम प्रोजेक्टों का प्रबंधन वह करते थे। इस दौरान उन्होंने मंत्री के निर्देश पर कई बैंकों में भारी रकम जमा करवाई थी। कुमार का आरोप है कि इस धन से लखनऊ, इलाहाबाद और दिल्ली के पॉश इलाकों में कई संपत्तियां खरीदी गई हैं। आवेदन के साथ उन्होंने इसका ब्यौरा अदालत को दिया है।

हाईकोर्ट के आदेश पर शुरू हुई थी जांच
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिसंबर 2010 में खाद्यान्न घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। आदेश में यह भी कहा था कि अभियुक्त सरकारी अफसरों के खिलाफ सरकार तीन माह के अंदर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं देती तो इस देरी को सरकार की मंजूरी माना जाएगा।

सरकारी अफसरों पर मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी न लेने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने बाद में रोक लगा दी थी। करोड़ों रुपये के इस घोटाले में राज्य के एक पूर्व मंत्री आठ माह से जेल में हैं। यूपी सरकार ने हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

15 लाख का पर्स


15 लाख का पर्स रखती हैं मायावती: अखिलेश

लखनऊ/एजेंसी
Story Update : Friday, April 13, 2012    12:47 AM
Mayawati Have a purse of Rs 15 lakh Akhilesh cm up
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती 15 लाख रुपये का पर्स रखती हैं।

यादव यहां ईसाबेला थोबर्न आईटी कॉलेज के 125 वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। यादव ने कहा कि उनकी पूर्ववर्ती सरकार ने जहां देखा, वहां मूर्ति लगा दी। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपनी भी मूर्तियां लगा दी।

अखिलेश ने कहा कि मूर्तिकार ने मायावती की मूर्ति के साथ उनका पर्स भी बना दिया और पर्स की कंपनी का नाम भी उस पर लिख दिया। उन्होंने कहा कि जिस कंपनी का पर्स वह लेकर चलती हैं उसकी कीमत 15 लाख रुपये से शुरू होती है।

उन्होंने कटाक्ष किया कि आप भरोसा रखिए मैं अपनी मूर्ति नहीं बनवाऊंगा क्योंकि भारतीय संस्कृति के अनुसार जिंदा लोगों की मूर्ति नहीं बनती।