शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

और अब यह दशा है उत्तर प्रदेश के तहस नहस करने वालों का

अब यह देस लगे बेगाना
Jan 20, 01:03 am
लखनऊ [नदीम]। चुनावी नतीजे आने से पहले ही उत्तार प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में हलचल मच गई है। अफसर कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। वो अभी से प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली जाने की एनओसी [अनापत्तिप्रमाण पत्र] जेब में रख लेना चाहते हैं ताकि अगर चुनावी नतीजे आने के बाद स्थितियां अनुकूल न रहें तो फिर दिल्ली का रास्ता पकड़ने में मुश्किल खड़ी न हो।
दिल्ली जाने के ख्वाहिशमंद अफसरों में सबसे चौंकाने वाला नाम कुंवर फतेह बहादुर का भी है। कुंवर फतेह बहादुर मुख्यमंत्री मायावती के बेहद विश्वासपात्र अफसरों में शुमार हैं। उनके रसूख का आलम यह है कि केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने उन्हें प्रमुख सचिव गृह के पद से हटाने को कहा तो मुख्यमंत्री ने उन्हें अपना प्रमुख सचिव बनाकर और ज्यादा ताकतवर बना दिया, लेकिन अब फतेह बहादुर ने प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सम्बंधित अफसर को पहले केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को बताना पड़ता है कि वह प्रतिनियुक्ति पर आने का इच्छुक है। इसके बाद केंद्र सरकार जब उस अधिकारी को अपने पैनल में शामिल कर लेती है तो अधिकारी को राज्य सरकार की एनओसी देना पड़ता है। इसके बाद केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय दिल्ली में उसके बैच के पद रिक्त होने पर तैनाती का आदेश जारी करता है। सूत्रों के अनुसार कुंवर फतेह बहादुर ने दिल्ली में अपनी तैनाती की इच्छा जताते हुए पैनल में नाम शामिल करने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव दुर्गा शंकर मिश्र भी लखनऊ छोड़ने की तैयारी में दिख रहे हैं। उन्होंने भी प्रतिनियुक्ति पर तैनाती पाने के लिए अपनी अर्जी लगा दी है।
मायावती के एक और करीबी अफसर जेएन चैम्बर भी दिल्ली जाना चाह रहे हैं। वर्तमान में वह प्रमुख सचिव कृषि के पद पर तैनात हैं। बसपा सरकार में वह प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री से लेकर प्रमुख सचिव गृह तक के पदों पर रह चुके हैं। उन्होंने भी केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के समक्ष प्रतिनियुक्ति वाले पैनल में शामिल करने की अर्जी लगा दी है। अपर कैबिनेट सचिव कैबिनेट सचिव रवींद्र सिंह भी उत्तार प्रदेश में नहीं रुकना चाहते हैं। उन्होंने भी प्रतिनियुक्ति वाले पैनल में अपना नाम शामिल कराने के लिए दरख्वास्त दे दी है।
बसपा सरकार का प्रदीप शुक्ल पर भरोसे का आलम यह था कि उन्हें स्वास्थ्य विभाग एवं परिवार कल्याण विभाग का प्रमुख सचिव बनाया गया, जिसके अधीन एनआरएचएम आता है। यह दीगर है कि वही एनआरएचएम उनके लिए मुसीबत का सबब बन गया है। बहरहाल प्रदीप शुक्ल ने भी प्रतिनियुक्ति पर तैनाती के लिए अपनी अर्जी लगा दी है।
इन अफसरों को मिल चुकी है एनओसी : केंद्र पर प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए सबसे अनिवार्य शर्त होती है कि राज्य सरकार एनओसी दे। अनूप मिश्र पर सरकार का भरोसा इसी से साबित होता है कि कई अफसरों की वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए उन्हें सूबे का मुख्य सचिव बना दिया गया था। वह आज भी मुख्य सचिव हैं। किसी भी आईएएस के लिए मुख्य सचिव बनना सपना होता है लेकिन न जाने क्यों अनूप मिश्र मुख्य सचिव होते हुए भी अब उत्तार प्रदेश छोड़ना चाहते हैं, उन्होंने प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली जाने के लिए राज्य सरकार से एनओसी ले ली है। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव आरपी सिंह और सचिव अनिल संत ने भी प्रतिनियुक्ति के लिए एनओसी अपनी जेब में रख ली है। इनके अलावा आरके सिंह, सुशील कुमार व मो. मुस्तफा को भी एनओसी मिल गई है।
कुछ अभी से समीकरण बिठाने में जुटे : कई अफसर ऐसे हैं जो बसपा सरकार में महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए अब सपा और कांग्रेस में रिश्तों को दुरुस्त करने लगे हैं। बेहतर 'लाइजनिंग' के लिए जाने जाने वाले एक अफसर ने तो पिछले दिनों सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को खुश करने के लिए उनकी पार्टी में कई मुस्लिम राजनीतिक लोगों को शामिल कराया। उसमें एक मुस्लिम नेता वह भी था, जिसे मायावती सरकार में उन्हीं की सिफारिश पर राज्य मंत्री का दर्जा दिया था। दरअसल अफसर की इस कवायद को सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की चेतावनी से जोड़कर देखा जा रहा है। मुलायम सिंह यादव अपनी चुनावी सभाओं में एलानिया कह रहे हैं, उन अफसरों के नाम नोट करते रहना, जिन्होंने बीते पांच वर्ष बसपा कार्यकर्ताओं की तरह काम किया है, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। बसपा सरकार में 'पंचम तल' की राजनीति का शिकार हुए एक अन्य प्रमुख सचिव इन दिनों उन लोगों के साथ साथ ज्यादा देखे जा रहे हैं जो कांग्रेसी नेताओं के करीबी माने जाते हैं। एक निलम्बित आईएएस अफसर पर कांग्रेस नेताओं की सहानुभूति दिखाई पड़ रही है।

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