मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012

आम नागरिक का क्या होगा ?


भगवान ही इस देश का भला करे: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली/ब्यूरो
Story Update : Tuesday, October 02, 2012    1:04 AM
supreme court said god bless this country
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्युनल के सदस्यों को आवासीय सुविधा प्रदान करने में आनाकानी करने पर सोमवार को केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि इस देश का तो भगवान ही भला करे। उसने यह भी सवाल किया कि क्या ट्रिब्युनल में शामिल सेवानिवृत्त जजों से दिल्ली की सड़कों पर घूमते रहने की उम्मीद की जाती है।

जस्टिस आरएम लोढ़ा और जस्टिस एचएल गोखले की पीठ ने केंद्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जताते हुए शहरी विकास मंत्रालय के सचिव से जवाब तलब किया है। पीठ ने उनसे जानना चाहा है कि दिल्ली में टाइप 7 और टाइप 8 के कितने बंगले खाली हैं। पीठ ने कहा कि आप गहरी नींद में चले जाते हैं और फिर चाहते हैं कि कोर्ट आपको जगाए। आप हमको वह करने पर मजबूर क्यों कर रहे हैं, जो हम करना नहीं चाह रहे। भगवान ही आपका और इस देश का भला करे।

पीठ ने यह टिप्पणी महादयी जल विवाद ट्रिब्युनल के चेयरमैन और उसके सदस्यों को सरकारी आवास दिलाने में अधिकारियों की नाकामी पर नाराजगी जाहिर करते हुए की। इस ट्रिब्यूनल का गठन करीब दो साल पहले नवंबर, 2010 किया गया था। यह ट्रिब्युनल कर्नाटक और गोवा के बीच जल विवाद के निपटारे के लिए बनाया गया था। सरकार के रवैये पर तल्ख टिप्पणियां करते हुए पीठ ने इस मामले की सुनवाई 30 अक्तूबर के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले एडिशनल सॉलिसिटर जनरल हरेन रावल ने दलील दी कि अप्रैल 2012 में सरकार ने एक आदेश जारी किया था कि सामान्य वर्ग के तहत ट्रिब्युनल के सदस्य सरकारी आवास पाने के हकदार नहीं हैं। लेकिन पीठ उनके तर्कों से सहमत नहीं हुई, उसने कहा कि नियमों के मुताबिक वह आवास पाने के हकदार हैं। यदि आवास खाली हैं तो आप उन्हें आवास देने से इनकार नहीं कर सकते हैं। क्या आप चाहते हैं कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश दिल्ली की सड़कों पर घूमें। यदि आप नहीं चाहते कि ट्रिब्युनल काम करें तो ट्रिब्युनल में सेवानिवृत्त जजों की नियुक्ति का कानून खत्म कर दें।

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