शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

प्रधानमंत्री जी की नसीहत कहीं फजीहत न बन जाय........

डॉ.लाल रत्नाकर 
देश की सर्वोच्च सेवाओं के अधिकारी नेताओं को 'भ्रष्ट होने की ट्रेनिंग' देते हैं, अन्यथा गुंडे राजनेताओं की छोड़ दें तो नेताओं का काम भ्रष्टाचार करना नहीं होता है उनको भ्रष्ट होने की ट्रेनिंग' यही देते हैं इसीलिए ये व्युरोकेट इनपर कब्ज़ा कर लेते हैं और खुला भ्रष्टाचार कर नेताओं को अज्ञानता में उन्हें धकेल देते हैं.
इतनी सीधी सी बात प्रधानमंत्री जी क्यों नहीं समझ पा रहे हैं, जबकि यह बात जनता भी जानती है, जनता को व्युरोक्रेट को हटाने का कोई अधिकार नहीं होता यही कारण है की जनता नेताओं का लगातार बदलाव करती है, यहाँ तक की इस बदलाव में जनता 'गुंडों और अपराधिओं को भी' अपना प्रतिनिधि चुन लेती हैं, इन प्रतिनिधियों की ताकत केवल और केवल इमानदार छवि की होनी चाहिए 'भ्रष्टाचार' की जड़ तो व्युरोक्रेट ही डालता है इसी लिए बड़ा से बड़ा गुंडा इनके सामने आकर नतमस्तक हो जाता है प्रधानमंत्री जी.
हिंदुस्तान से साभार 

  

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